जयंत चौधरी बुधवार को अचानक लखनऊ पहुंचे और सीधे सपा प्रदेश मुख्यालय गए। यहां पर सीटों के बंटवारे क मुद्दे पर अखिलेश यादव से उनकी लंबी वार्ता हुई। बताया जाता है कि इस वार्ता में सपा ने गठबंधन में रालोद को मथुरा, बागपत और मुजफ्फरनगर सीटें देने की हामी भर ली है। एक अन्य सीट पर भी रालोद दबाव बनाए हुए है।

सपा-बसपा गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल को तीन सीटें मिलने की बात करीब-करीब तय हो गई है। रालोद को और एक सीट मिल सकती है, इस सीट पर कैराना फार्मूले पर प्रत्याशी तय किया जाएगा। बुधवार को समाजवादी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में अखिलेश यादव से मिलने के बाद रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि मसला सीटों का नहीं, विश्वास और रिश्ते का है, यह दोनों मजबूत है।
सूत्र बताते हैं कि रालोद को चौथी सीट संभवत: हाथरस की मिल सकती है। इस सीट पर कैराना की तर्ज पर सिंबल रालोद का और प्रत्याशी सपा का हो सकता है। बता दें कि कैराना लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की नेता तबस्सुम हसन रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ी और जीती थी। सीटों की घोषणा में एक-दो दिन लग सकता है। संभवत: अखिलेश यादव के कोलकाता से लौटने पर इसकी घोषणा हो। जयंत भी कोलकाता जा सकते हैं।
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सूत्र बताते हैं कि इस बार बागपत सीट से जयंत चौधरी चुनाव लड़ेंगे, जबकि मुजफ्फरनगर सीट से अजित चौधरी का सियासी रण में उतरना तय माना जा रहा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि मथुरा से रालोद के चुनाव चिह्न पर सपा अपने उम्मीदवार संजय लाठर को उतार सकती है। रालोद को चौथी सीट के रूप में यदि हाथरस मिलता है तो उसके सिंबल पर बसपा अपना प्रत्याशी उतार सकती है।
सपा मुख्यालय के बाहर मीडिया से हुई संक्षिप्त बातचीत में जयंत चौधरी बोलें कि लड़ाई मैं की नहीं हम की और हमारी है, हम मिलकर लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अखिलेश से बहुत अच्छी बातचीत हुई। पूर्व में जो बातें हुई थीं उन्हें आगे बढ़ाया। भाजपा की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे देश में प्रभावी गठबंधन तैयार होगा। यूपी में हमनें अच्छी शुरूआत की है। सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कैराना में हमनें लचीलापन दिखाया, एक दूसरे से तालमेल बनाया और रिजल्ट भी लिया।
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष डा. मसूद अहमद का कहना है कि गठबंधन का पूरा स्वरूप अभी बाहर नहीं आया है। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच बातचीत सकारात्मक रही है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि गठबंधन में रालोद ने छह सीटों की मांग की थी, अंतिम फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व को ही करना है।
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