केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अपने दो दिवसीय दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुंच चुके हैं। इस दौरे पर उन्होंने राज्य में आतंक विरोधी अभियान के निलंबन की समीक्षा के साथ सीमावर्ती जिले का दौरा भी किया। उन्होंने अपने कश्मीर यात्रा के पहले दिन कहा कि मुझे यह कहते हुए कोई हिचकिचाहट नहीं है कि सेना और पुलिस सहित हमारी सुरक्षा बलों ने अत्यंत संयम के साथ काम किया है।
उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि स्थानीय लोगों को अपने बच्चों के हाथ में पत्थर की जगह अच्छी शिक्षा देनी चाहिए। आईएएस और आईआईएम के रिजल्ट इस बात के सबूत हैं कि यहां के युवाओं में बहुत ही संभावनाए विद्यमान हैं।
राजनाथ सिंह ने अलगाववादियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अलगाववादियों को हर प्रकार की पॉलिटिक्स खेलने की छूट है लेकिन उन्हें बच्चों के भविष्य से खेलने नहीं दिया जा सकता है। ये बच्चे केवल कश्मीर के बच्चे नहीं बल्कि पूरे देश के बच्चे हैं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला का कहना है कि कश्मीर में शांति के लिए हुर्रियत और पाकिस्तान से वार्ता महत्वपूर्ण है। रमजान में युद्ध विराम के दौरान हुर्रियत व अन्य दलों के साथ बातचीत की जानी चाहिए।
उमर ने यह बात बारामुला डाक बंगले में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने कहा कि सरकार कश्मीर मसले पर वार्ता शुरू करने को लेकर खुद असमंजस में है। विदेश मंत्री जहां बातचीत करने के लिए कहती हैं, वहीं रक्षा मंत्री का कुछ और ही कहना होता है।
हम हुर्रियत को बातचीत के लिए कैसे राजी कर सकते हैं, जब सरकार में ही मतभेद हों। हमारा उद्देश्य कश्मीर में शांति स्थापित करना है। सूबे में सत्तासीन पीडीपी को इस पर फैसला लेना होगा कि वह प्रधानमंत्री से मिलकर बातचीत के सभी विकल्प खुलवाए ताकि राज्य में शांति बहाल हो।
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