सरदेसाई ने गुरुवार को कहा कि पर्रिकर मुख्यमंत्री पद त्यागना चाहते थे, गणेश चतुर्थी के वक्त वे सरकार के किसी मंत्री को कार्यभार सौंपना चाहते थे। वह उस वक्त अस्पताल में इलाज करा रहे थे, लेकिन भाजपा के बड़े नेताओं ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। सरदेसाई ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के बीमार रहने से प्रशासन पर असर देखा जा रहा है। इससे पहले निर्दलीय विधायक और राजस्व मंत्री रोहन खौंते ने कहा था कि पर्रिकर की अनुपस्थिति में सरकार के कामकाज सही तरीके से चलाना मुश्किल हो रहा है। गोवा के कृषि मंत्री विजय सरदेसाई का दावा है कि मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर पद से इस्तीफा देना चाहते थे लेकिन भाजपा हाईकमान से उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली।

सरदेसाई राज्य में सरकार के सहयोगी दल गोवा फारवर्ड पार्टी के प्रमुख हैं। इसी हफ्ते कांग्रेस समेत अन्य दलों और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पर्रिकर के इस्तीफे की मांग को लेकर मार्च भी निकाला था। पर्रिकर पैंक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित हैं। 14 अक्टूबर को ही दिल्ली एम्स उन्हें डिस्चार्ज किया गया था।
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20 नवंबर को पीपुल्स मार्च फॉर रेस्टोरेशन ऑफ गवर्नेंस के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने गोवा में मार्च निकाला। इसमें सामाजिक कार्यकर्ता, कांग्रेस कार्यकर्ता और एनजीओ शामिल थे। मार्च को एनसीपी और शिवसेना का भी समर्थन था। प्रदर्शनकारी पर्रिकर के निजी निवास की ओर बढ़े लेकिन उन्हें 100 मीटर पहले ही रोक दिया गया। उन्होंने अल्टीमेटम दिया था कि अगले 24 घंटे में पर्रिकर अपना पद छोड़ दें ताकि फुलटाइम मुख्यमंत्री पद संभाल सके।
पिछले दिनों गोवा के सांसद नरेंद्र सवाईकर ने पर्रिकर के इस्तीफे की मांग को गलत बताया। उन्होंने ट्वीट किया, “पर्रिकर स्टेट्समैन हैं। देश के रक्षा मंत्री बनने वाले वह गोवा के पहले व्यक्ति हैं। उन्होंने कई प्रोजेक्ट शुरू किए। बिना थके वह लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने में लगे रहे। अगर वह जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं तो क्या उनका इस्तीफा मांग लिया जाएगा?
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