शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर अब अफसरों की मनमानी नहीं चलने पाएगी। सर्वेक्षण करने वाली टीम अब गुपचुप सर्वे करेगी। अफसर भी भौतिक सत्यापन का सच नहीं जान पाएंगे। टीम यहा पर कभी भी पहुंचकर निगम की ओर से जमा किए गए दस्तावेजों के आधार पर भौतिक सत्यापन कर सकती है। इसी के आधार पर रैंकिंग तय होगी।
इस बार पूरे देश में 4041 शहरों व कस्बों में स्वच्छता सर्वेक्षण किया जा रहा है। शहर के स्व. मूल्यांकन में 900 नंबर, संस्था की ओर से होने वाले निरीक्षण में 500 और जनता के फीडबैक पर 600 नंबर हैं। ऐसे में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर से जनता के हाथ में कुल 1400 अंक हैं, क्योंकि जनता के फीडबैक के अतिरिक्त जो 500 नंबर सर्वेक्षण टीम के हाथ में हैं, वह शहर के सफाई व्यवस्था का स्थलीय निरीक्षण पर आधारित है।
इसलिए स्वच्छता सर्वेक्षण में जनता की भागीदारी बढ़ जाती है क्योंकि स्थलीय निरीक्षण में शहर की सफाई पर ही नंबर मिलेंगे। नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश सिंह ने बताया कि दस्तावेजों की जाच कर एक टीम लौट चुकी है, कभी भी दूसरी टीम जमीनी स्तर पर पड़ताल करने यहां आ सकती है। टीम के सदस्य आने की सूचना नहीं देंगे।