केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भले ही राहुल गांधी पर ‘सिर मुढ़ाते ही ओले पड़े’ की चुटकी ली हो, लेकिन गुजरात और हिमाचल में कांग्रेस अध्यक्ष के लिए मुंह छुपाने जैसा कुछ नहीं है। कांग्रेस गुजरात में 80 सीटें जीतती दिखाई दे रही है। राहुल गांधी की टीम की सदस्य और फायर ब्रांड नेता सुष्मिता देव का आंकलन 80-85 सीट का था और कहीं न कहीं कांग्रेस इसके आस-पास है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सूझ-बूझ से पार्टी भी 22 साल के शासन को अगले पांच साल के लिए बचाये रखने में सफल रही है।
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को 49.1, कांग्रेस को 41.4, आईएनडी को 4.3, बीटीपी को 0.8, बसपा को 0.7, एनसीपी को 0.6 प्रतिशत वोट मिले हैं। खास बात यह है कि 1.8 प्रतिशत लोगों ने नोटा का बटन दबाया है। इस तरह से कांग्रेस, भाजपा के साथ कांटे के मुकाबले में रही है। कांग्रेस पार्टी को 2012 के विधानसभा चुनाव में मिली 61 सीटों से 19 सीटें ज्यादा मिल रही हैं। वह भी तब जब शंकर सिंह बाघेला जैसे दिग्गज नेता के बगैर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ा है। राजनीति के पंडितों का मानना है कि शंकर सिंह बाघेला के कांग्रेस छोड़ देने और उनके समर्थन में तमाम विधायकों के पार्टी को अलविदा कह देने के बाद वह कांग्रेस को 20-25 सीटों के आस-पास ही देख रहे थे।
खुद सुष्मिता देव का कहना है कि सितंबर 2017 में वहां कोई ठोस आधार नहीं दिखाई दे रहा था। लेकिन जब राहुल गांधी ने खुलकर बोलना शुरू किया तो लोग खुलकर आने लगे। धीरे-धीरे अल्पेश, जिग्नेश भी साथ देने के लिए आगे आए। हार्दिक का भी साथ मिला और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जोरदार टक्कर दे दी। एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल का भी आंकलन कांग्रेस के लिए 80-85 सीट का था तो वह भाजपा को अधिकतम 91-99 सीटें ही देने को तैयार थे। कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी 15 दिसंबर से कह रहे थे कि गुजरात में कांग्रेस बहुत अच्छा करेगी। लेकिन पूर्ण बहुमत के सवाल पर वह कहते थे कि मुझे नहीं समझ में आता कि लोग इतना अधिक वोट हमें देंगे।
गुजरात विधानसभा चुनाव ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ा नेता बना दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पूरे चुनाव अभियान में जिस तरह से सूझ-बूझ का परिचय दिया है, वह उन्हें अलग श्रेणी में खड़ा कर रहा है। उन्होंने कांग्रेस को गुजरात में भाजपा के समानांतर राजनीतिक लड़ाई के लाकर खड़ा कर दिया है। हालांकि कांग्रेस के गुजरात के दोनों बड़े नेता शक्ति सिंह गोहिल और अर्जुन मोढवाडिया अपना चुनाव हार गए हैं, लेकिन राज्य विधानसभा कांग्रेस पार्टी ने सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने की ताकत पा ली है।