कोरोना के चलते स्कूल बंद हुई तो छात्रों को पढ़ाई से दूर होता देख ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर की गई, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई की सबसे बड़ी दिक्कत है नेटवर्क की, जिससे आज भी कई गांव अछूते हैं। नेटवर्क के बिना ऑनलाइन क्लास संभव नहीं है। ऐसे में एक गांव मे तो बच्चे अपनी जान जोखिम में डाल कर नेटवर्क के लिए गांव की 50 फीट ऊंची टंकी पर चढ़ जाते हैं। फिर भी वे किसी प्रकार ऑनलाइन क्लास अटेंड कर पाते हैं।
गुजरात के नाडियाद जिले की मातर तहसील के त्राणजा गांव में रोज सुबह यह नजारा देखा जा सकता है। यहां शासकीय स्कूल के एक टीचर आते तो हैं, लेकिन बच्चों को अन्य सब्जेक्ट की पढ़ाई करवा नहीं पाते, क्योंकि मोबाइल में नेटवर्क ही नहीं आता। मजबूरी में वे बच्चों को पानी की टंकी पर ले आते हैं और फिर कुछ देर तक बच्चे टंकी पर घूमते-घूमते नेटवर्क का इंतजार करते हैं।
इसके बाद जैसे-तैसे थोड़ी बहुत पढ़ाई हो जाती है और कई बार वो भी नहीं होती। बच्चों के लगन के आगे नेटवर्क बाधा जरूर बनता है लेकिन इन बच्चों ने इसका भी उपाय खोज निकाला है और रोज अच्छे नेटवर्क के लिए इस ऊंचाई पर चढ़ जाते हैं।
नेटवर्क की समस्या को चलते 80 फीसदी ने छोड़ी ऑनलाइन पढ़ाई
त्राणजा की सरपंच चंद्रिका बहन कहती हैं कि इस समस्या को लेकर ग्राम पंचायत द्वारा विगत 27 जनवरी को मुख्यमंत्री को लिखित में अरजी दी थी। इसके पहले सांसद से तो न जाने कितनी बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन हालत जस के तस हैं।
त्राणजा और माछीयेल गांव की कुल आबादी साढ़े तीन हजार के करीब है और अब तो यहां के करीब 80 फीसदी बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई ही छोड़ दी है। बावजूद इसके अब तक कोई उपाय नहीं निकाला जा सका है।