नई दिल्ली गुजरात में जहां महात्मा गांधी ने 1930 नमक के लिए दांडी मार्च निकाली थी। अब वह जगह आपको देखने को नहीं मिलेगी। क्योंकि गुजरात सरकार के नेशनल हाईवे डिवीजन ने मील के पत्थर के साथ गड़बड़ी कर दी है।
2005 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार ने घोषणा की थी कि अहमदाबाद में साबरमती आश्रम से नवसारी जिले का दांडी गांव नेशनल हाईवे 228 के रूप में चिन्हित होगा। कनकपुरा के एक सामाजिक कार्यकर्ता विनुभाई परमार ने बताया ‘हमारे गांव के निकट देहवन कभी भी वह पड़ाव नहीं था जहां गांधीजी रूके थे। इतिहास गवाह है कि देहवन के ठाकुर साहब ने गांधीजी की बेइज्जती की थी जिसके बाद महात्मा ने हमारे गांव में रात बिताने का फैसला किया था। यही नहीं, हमने तो ‘चबुतरा’ पर बापू की प्रतिमा भी लगाई है जहां उन्होंने 19 मार्च 1930 को अपने प्रवास के दौरान बड़ी सभा को संबोधित किया था।’वह कहते हैं ‘पुराने मील के पत्थर में कनकपुरा का उल्लेख है लेकिन नए मील के पत्थरों में ‘चक्र’ का चिन्ह और ‘दांडीपथ’ का उल्लेख है जो कि इस ऐतिहासिक मार्ग को देहवन का हिस्सा बताता है।’
कनकपुरा गांधी आश्रम का घर भी है जिसे केंद्र सरकार ने दांडी हेरिटेज रूट के अंतर्गत 2011 में चार करोड़ की लागत से बनाया था। हाईवे के अधिकारियों ने न केवल एतिहासिक मार्ग पर स्थलों के साथ छेड़खानी ही नहीं की बल्की उन्होंने माइलस्टोंस को स्थलों के बीच की दूरी गलत तरीके से पेश की है। कनकपुर उन 21 स्थानों में से एक है जहां गांधीजी ने रात बिताई थी।
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