खराब गले के मामले में ज्यादातर संक्रमण वायरल होते हैं और इनमें एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती। कई बार बैक्टीरिया की वजह से गला खराब होता है, जैसे कि स्ट्रेप्टोकोक्स और इसमें एंटीबायोटिक दवा की जरूरत होती है।
इसे स्ट्रेप थ्रोट इंफेक्शन कहा जाता है। जब अचानक गले में दर्द होने लगे, निगलने में परेशानी हो और बुखार हो तो यह खराब गला ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोक्स की वजह से हो सकता है। इसका पता रैपिड एंटीजेन डिटेक्शन टेस्ट से लगाया जा सकता है। चूंकि 3 साल से छोटे बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट इन्फेक्शन होने की संभावना नहीं होती, इसलिए टेस्ट की जरूरत नहीं पड़ती। हां, अगर बच्चे के किसी भाई-बहन को यह संक्रमण हो तो टेस्ट कराना पड़ सकता है।
इंडियन मेडिकल एशोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया, “वैसे तो बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं। उनके अलावा खांसी, रिनोर्हिया, आवाज की खराबी, मुंह के छाले आम तौर पर वायरल संक्रमण होते हैं।”
उन्होंने कहा कि बच्चों और किशोरों में नेगेटिव एंटीजेन टेस्ट के लिए थ्रोट कल्चर का प्रयोग किया जाना चाहिए। जब पक्का हो जाए कि स्ट्रेप थ्रोट है तो 10 दिन के लिए पेनीसिलिन का प्रयोग करना चाहिए जो कि आसानी से सस्ता ही मिल जाता है और इसके प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की बेहद कम संभावना होती है।”
पेनीसिलिन या एमॉक्सीलिन स्ट्रेप के इलाज के लिए बेहतर है, क्योंकि जिन्हें पेनीसिलिन की एलर्जी न हो, उनके लिए यह काफी सुरक्षित और प्रभावशाली होता है। एजिथ्रोमाइसिन जैसे मैक्रोलाइड्स के प्रति स्ट्रेप की लड़ने की क्षमता कम हो रही है।
डॉ. अग्रवाल कहते हैं, “पांच से 15 साल के बच्चों में स्ट्रेप थ्रोट होने की संभावना ज्यादा होती है, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना, सर्दियां या वसंत ऋतु के शुरुआती दिन, ठंडी हवा, प्रदूषण, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, एलर्जी, एसिड रीफलक्स विकार इसके प्रमुख कारण बन सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “सांस प्रणाली की ऊपरी नली में संक्रमण की वजह से भी यह हो सकता है। इसका पता केवल लैब टेस्ट से ही लगाया जा सकता है। जब जरूरत न हो, तब एंटीबायोटिक का प्रयोग भी हानिकारक हो सकता है। मरीजों को इस बारे में जागरूक रहना चाहिए।”