नई दिल्ली, सचिन तेंदुलकर के क्रिकेटिंग करियर को सजाने और संवारने में कोच रमाकांत आचरेकर का बड़ा योगदान रहा है. अपने करियर में उनके योगदानों को याद करते हुए मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि कोच और गुरू माता-पिता की तरह होते हैं. मुंबई में एक किताब के विमोचन के दौरान तेंदुलकर ने कहा, ‘‘कोच, गुरू हमारे माता-पिता की तरह हैं क्योंकि हम उनके साथ इतना समय बिताते हैं, हम उनसे इतनी सारी चीजें सीखते हैं.’’
सचिन ने मुंबई में क्रिकेट खेलने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर माता-पिता के लिए लिखी किताब ‘इवन व्हेन दियर इज ए डाक्टर’का विमोचन किया. इस किताब को डाक्टर यशवंत अमदेकर, डाक्टर राजेश चोखानी और कृष्णन शिवरामकृष्णन ने लिखा है. कोच रमांकांत आचरेकर को याद करते हुए तेंदुलकर ने कहा, ‘‘ वो कभी कभी सख्त थे, बेहद सख्त और साथ ही ख्याल भी रखते थे और प्यार भी करते थे. सर ने मुझे कभी नहीं कहा कि अच्छा खेलो. लेकिन मुझे पता है कि जब सर मुझे भेल पूरी या पानी पूरी खिलाने ले जाते थे तो वह खुश होते थे. इसका मतलब होता था कि मैंने मैदान पर कुछ अच्छा किया था.’’
रमांकांत आचरेकर तेंदुलकर को मध्य मुंबई के दादर के शिवाजी पार्क में कोचिंग देते थे. सचिन ने बचपन की एक घटना याद की जिसने उन्हें स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करना सिखाया. तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैं 13 बरस के आस पास था जब मुझे एक महीने के राष्ट्रीय शिविर के लिए इंदौर जाना था और उस समय मोबाइल उपलब्ध नहीं थे.’’
मास्टर ब्लास्टर ने कहा, ‘‘मैं एक महीने के लिए जा रहा था और मेरी मां चिंतित थी. मेरे पिता उन्हें कह रहे थे कि यह हमारे बीच सबसे तेज और चतुर है, उसे पता है, वह परिपक्व बच्चा है. मुझे काफी अच्छा लगा लेकिन इस स्वतंत्रता के साथ मेरे दिमाग में कहीं ना कहीं यह बात थी कि स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है और मुझे अपनी स्वतंत्रता का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.’’ सचिन के साथ किताब के विमोचन के मौके पर उनकी पत्नी अंजली तेंदुलकर भी मौजूद थीं.
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