दुनियाभर में 5200 से ज्यादा लोगों की मौत का कारण बने कोरोना वायरस से लड़ने में भारतीय वैज्ञानिकों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसके साथ ही कोरोना से जंग में देश ने पहला चरण पार कर लिया है।
दरअसल किसी भी महामारी के निदान के लिए सबसे पहले उसके वायरस की पहचान करना जरूरी होता है। यह एक प्रकार से पहला चरण होता है जिसके बाद महामारी के उपचार, दवा और वैक्सीन तैयार करने आदि को लेकर रिसर्च किया जाता है। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (National Institute of Virology) के वैज्ञानिकों को ऐसी ही एक बड़ी कामयाबी मिली है।
भारतीय मेडिकल रिसर्च काउंसिल(ICMR) के मुताबिक पुणे स्थित एनआईवी(NIV) के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के स्ट्रेन्स (अलग-अलग रूपों) को पृथक करने में सफलता पाई है। आईसीएमआर, पुणे की वैज्ञानिक प्रिया अब्राहम के मुताबिक कोरोना वायरस के स्ट्रेन्स अलग करने में भारत को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है।
अभी तक चीन, अमेरिका, जापान और थाईलैंड ही दुनिया में ऐसा कर पाए हैं। इन चारों देशों के बाद भारत यह कामयाबी हासिल करने वाला पांचवा देश बन चुका है।
भारत की इस कामयाबी के बाद कोरोना वायरस की जांच किट बनाने, इसकी दवा का पता लगाने और वैक्सीन बनाने के लिए शोध करने में काफी मदद मिल सकेगी।
वैज्ञानिक प्रिया ने बताया कि जयपुर में मिले इटली के नागरिकों और आगरा के छह मरीजों में वायरस की जांच करने के बाद स्ट्रेन को आइसोलेट किया गया। इसके साथ ही जब इस स्ट्रेन का वुहान में मिलने वाले स्ट्रेन से मिलान किया गया, तो नतीजा चौंकाने वाला था।
भारतीय मेडिकल रिसर्च काउंसिल(आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने जयपुर और आगरा के संक्रमित मरीजों में स्ट्रेन को अलग करने के बाद उसकी वुहान के स्ट्रेन से मिलान की तो दोनों में समानता पाई गई।
वैज्ञानिकों ने बताया कि दोनों स्ट्रेन 99.98 फीसदी की समानता मिली है। यह एक तरह से भारत की कामयाबी है, जिसके बाद टीके और उपचार को लेकर रिसर्च में काफी मदद मिलेगी।
मालूम हो कि कोरोना वायरस दुनिया के 122 देशों में पांव पसार चुका है। अबतक दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1.43 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
वहीं भारत में हुई दो लोगों की मौत समेत 5400 से ज्यादा लोगों की जान इस वायरस के कारण जा चुकी है। ज्यादातर मौतें चीन में हुई है, जबकि 2200 से ज्यादा मौतें चीन के बाहर अन्य देशों में हुई हैं।