केंद्र सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाए शिवसेना ने

शिवसेना ने कश्मीर मसले पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की. दरअसल, नौशेरा एनकाउंटर के दौरान महाराष्ट्र का एक जवान शहीद हो गया था. जवान की शहादत पर शिवसेना ने मोदी सरकार पर हमला किया और सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाए. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा, ‘एक महीने में महाराष्ट्र के सात-आठ जवान शहीद हुए हैं. इसके लिए महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी जिम्मेदार नहीं है. ये समझ लेना चाहिए. बार-बार कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर की परिस्थिति नियंत्रण में है, लेकिन ये कितना सच है?’

साथ ही सामना में लिखा गया, ‘अनुच्छेद-370 हटाना अच्छा ही हुआ. इसके पहले पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई, लेकिन इतना सब करने के बावजूद कश्मीर की परिस्थिति में बदलाव आया क्या? आतंकवादी हमले शुरू ही है, लेकिन उसकी खबरें देने पर नियंत्रण है. बंदूकों का शोर थमा नहीं है. सिर्फ इस शोर को आनंद का चीत्कार बताया जा रहा है. कश्मीर में संचार सुविधाएं शुरू नहीं हुई है. वहां 31 दिसंबर की मध्यरात्रि से ‘एसएमएस’ सेवा शुरू की गई, लेकिन इंटरनेट सेवा अभी भी बंद है.

सामना ने लिखा, ‘5 अगस्त को अनुच्छेद-370 रद्द करने के बाद से कश्मीर में क्या चल रहा है, इसे समझना होगा. सिर्फ मुठभेड़ में हमारे जवान शहीद हो गए, इसकी सूचनाएं मिलती हैं. जवानों के तिरंगे में लिपटे हुए पार्थिव शरीर को उनके गांव भेजे जाने की प्रथा है, नहीं तो उनके शहीद होने की खबरों को भी दबा दिया जाता. हाल ही में कोल्हापुर के जवान ज्योतिबा चौघुले (उम्र-37) शहीद हुए. महाराष्ट्र के दूसरे जिलों से भी कई बार सीमा पर शहीद हुए जवानों का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा और सेना के नियमानुसार उनका अंतिम संस्कार होने की खबरें सामने आती रहती हैं.’

सामना ने लिखा, ‘कश्मीर और सीमा का यह रक्तपात और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के शहीद जवानों के परिजनों में जो आक्रोश है, उस पर कितने राजनीतिक दल अपना मत प्रकट कर रहे हैं? कश्मीर की सीमा पर जिस प्रकार जवानों का खून बह रहा है, उसका सीधा मतलब ये है कि कश्मीर में सबकुछ ठीक नहीं है और पाक समर्थित आतंकवाद और घुसपैठ रुकी नहीं है. फिर भी सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिक ‘टाम-टूम’ करने का प्रयास किया गया. बालाकोट के हमले में आतंकवादी ठिकानों के ध्वस्त किए जाने पर एक देशवासी के रूप में हमें विश्वास रखना चाहिए, लेकिन उसी जगह पर फिर से नए ठिकाने बन जाने से हिंदुस्तान विरोधी कार्रवाई को बल मिलने लगा है, इसे भी नकारा नहीं जा सकता.’

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