राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए 4 दिसंबर को नामांकन भर सकते हैं। इसके पीछे कांग्रेस का तर्क यह है कि राहुल शिवभक्त हैं और उस दिन सोमवार यानी भगवान शिव का दिन है।
2014 लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद एके एंटनी कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें साफ तौर पर कहा गया था कि मुस्लिम समर्थक छवि भी कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण था।
राहुल ने गुजरात चुनाव में उस छवि से बाहर निकल कर आगे बढ़ने का फैसला लिया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने गुजरात में पिछले डेढ़ महीने के दौरान 21 बार मंदिरों में दर्शन किए। चुनावी सभाओं और रैलियों में माथे पर लगे तिलक से उन्हें परहेज नहीं है।
अब राहुल सहित अन्य नेताओं को खुद को हिंदू कहलाने और मंदिर जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। राहुल ने मीडिया में भगवत गीता पढ़ने और हाल ही में गुजरात के पाटन में वीर मेघमाया मंदिर के बाहर मैं शिव भक्त हूं कहा था।
राहुल की शिवभक्ति का एक रूप उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते समय भी दिखा था। राहुल ने मंदिर तक की करीब 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर सबको चौंका दिया था।
फिर कांग्रेस मुख्यालय में नामांकन करेंगे। राहुल के अलावा अगर कोई नामांकन नहीं भरता है, तो 5 दिसंबर को उनका अध्यक्ष बनना तय हो जाएगा और उसकी आधिकारिक घोषणा 11 दिसंबर को हो जाएगी। एक से ज्यादा नामांकन होने पर यदि मतदान हुआ तो 16 को मतदान और परिणाम की घोषणा 19 दिसंबर को की जाएगी।