कहीं आपकी सेहत तो नहीं बिगाड़ रहा TV, WIFI, सेलफोन

तकनीकि दौर में हर कोई तकनीकि स्तर पर आगे बढ़ने की होड़ में है, हर तरफ गैजेट्स का नशा छाया हुआ है, लेकिन ऐसी जिंदगी आपको कहां बिगाड़ रही है। इस पर भी एक नजर डालते हैं।

आज कंप्यूटर के सामने बैठ कर काम करना मजबूरी भी है और कहीं-कहीं लत भी। इसके अधिक इस्तेमाल के कारण कई बार सेहत पर इसके दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं, जैसे शारीरिक सक्रियता का कम होना, नींद में कमी या स्लीप पैटर्न का गड़बड़ा जाना आदि। वहीं लैपटॉप के कारण गर्दन में दर्द एक बड़ी बीमारी के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। की-बोर्ड के नजदीक होने से झुकना पड़ता है। इससे गर्दन में खिंचाव होता है, जिससे दर्द होता है। कभी-कभी डिस्क भी खिसक जाती है।
टेलीविजन और लाइफ स्टाइल 
क्या बच्चे, क्या बड़े, लोग घंटों टेलीविजन के सामने बैठ कर समय व्यतीत करते हैं। एक लेख के अनुसार लोगों द्वारा हर घंटे देखे गये टीवी से उनका जीवनकाल 22 सेकंड कम हो जाता है। हर भारतीय एक सप्ताह में औसतन 15-20 घंटे टीवी देखता है। कई शोधों में यह बात सामने आई है कि टीवी के सामने हर रोज दो घंटे बिताने से टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा 20 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
अनेक अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि वायरलेस उपकरणों से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें कैंसर का कारण बनती हैं और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाती हैं। स्वीडन में हुए एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग 20 वर्ष से कम उम्र में मोबाइल फोन का उपयोग शुरू कर देते हैं, उनमें ब्रेन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। युवा आमतौर पर मोबाइल फोन से संगीत का आनंद उठाते हैं, लेकिन 85 डेसिबल से अधिक तेज ध्वनि किसी की भी सुनने की क्षमता को हमेशा के लिए खत्म कर सकती है। स्टीरियो हेडफोन से निकलने वाली तरंगें 100 डेसिबल तक पहुंच जाती हैं।
वीडियो गेम
वीडियो गेम में बच्चों का जबरदस्त के्रज है। घंटों वीडियो से चिपके रहना सामान्य बात है। अधिक समय तक वीडियो गेम खेलने से बच्चों पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। बच्चे जहां अधिक आक्रामक हो रहे हैं, वहीं दोस्तों से झगड़ना, आंखों की रोशनी कम होना, मोटापा बढ़ना आदि बहुत से प्रभाव देखने को मिल रहे हैं।
गुस्सैल न हो जाए आपका स्वभाव
लंदन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक, जो लोग कंप्यूटर पर 4 घंटे या उससे ज्यादा समय बिताते हैं, उन्हें अन्य लोगों के मुकाबले दिल की समस्या होने की आशंका 125 फीसदी अधिक रहती है। रिसर्च में यह भी पता चला है कि कंप्यूटर पर ज्यादा समय बिताने वालों को मृत्यु का खतरा अन्य लोगों के मुकाबले 45 फीसदी ज्यादा होता है। इसी तरह अगर आप रोजाना मोबाइल पर 4 घंटे से ज्यादा बात करते हैं तो आपका स्वभाव गुस्सैल हो जाता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी बर्कले की एक स्टडी पर गौर करें तो 70 प्रतिशत से अधिक कंप्यूटर यूजर्स को कंप्यूटर चश्मे की जरूरत पड़ती है।
एक रिसर्च में पाया गया है कि मोबाइल फोन में टॉयलेट के फ्लश हैंडल से औसतन 18 गुना ज्यादा हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं। इनकी वजह से पेट में गंभीर बीमारियां होने की आशंका रहती है। रिपोर्ट में पाया गया है कि ब्रिटेन में इस्तेमाल किए जा रहे मोबाइल फोन्स के 6.3 करोड़ में से 1.47 करोड़ यूजर्स को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पाई गई हैं।
दुष्प्रभाव से कैसे बचें  :
कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हुए हर दो घंटे के बाद एक ब्रेक लें या हर आधे घंटे के बाद दो-तीन मिनट के लिए अपनी आंखों को कंप्यूटर से हटा लें।
वीडियो गेम खेलने का समय और अवधि निर्धारित करें। कंप्यूटर के सामने बैठते समय हमारी पीठ सीधी हो, खासकर रीढ़ की हड्डी। कंप्यूटर की स्क्रीन आंखों से 15 डिग्री नीचे की तरफ होनी चाहिए। स्क्रीन से आंखों की दूरी दो फुट होनी चाहिए।

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टीवी कभी भी अंधेरे में न देखें, वहां हमेशा पर्याप्त रोशनी बनाए रखें। विशेषज्ञों का मानना है कि करीब 1 घंटा मोबाइल फोन के इस्तेमाल से मस्तिष्क में ग्लूकोज का संतुलन बिगड़ सकता है। हमेशा बड़ी स्क्रीन के लैपटॉप का इस्तेमाल करें। इसके उपयोग से पॉश्चर पर ज्यादा दबाव नहीं आता। लैपटॉप की स्क्रीन आंखों के समान लेवल या एंगल पर होनी चाहिए, ताकि आपको अपनी आंखें स्क्रीन पर रखने के लिए गर्दन को घुमाना या मोड़ना न पड़े।

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