रणविजय सिंह। बच्चों में रीढ़ की जन्मजात बीमारी स्पाइना बाइफिडा की गर्भ में ही सर्जरी संभव है। दुनिया के कई देशों में गर्भस्थ शिशु की जन्म से पहले ही सर्जरी कर बीमारी दूर कर दी जाती है। ताकि बच्चा स्वस्थ जन्म ले सके।
अभी तक देश में स्पाइना बाइफिडा की गर्भ में सर्जरी शुरू नहीं हो पाई है। एम्स इस दिशा में कदम बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। अस्पताल के डॉक्टरों को उम्मीद है कि अगले साल यह सुविधा शुरू हो जाएगी। मौजूदा समय में गर्भावस्था में 20 सप्ताह से पहले अल्ट्रासाउंड जांच में इस बीमारी का पता चल जाने पर गर्भपात करा दिया जाता है।
पता चलने पर गर्भपात कराए जाने के बाद भी देश में एक हजार में एक बच्चा इस बीमारी से पीड़ित होता है। इस बीमारी में रीढ़ और उसकी नसों में खराबी होती है। इसलिए जन्म के बाद एम्स के डॉक्टर तीन दिन के अंदर नवजात की सर्जरी करने की सलाह देते हैं। सर्जरी के माध्यम से विकारों को दूर किया जाता है। फिर भी बच्चों के पैर में कमजोरी रह जाती है। इस वजह से चलने में दिक्कत होती है और उन्हें उम्र भर सहारे की जरूरत पड़ती है।
डॉक्टर कहते हैं कि कई बच्चों को एक से अधिक सर्जरी से गुजरना पड़ता है। एम्स के न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक गुप्ता ने कहा कि गर्भावस्था के 26वें सप्ताह में इस बीमारी की गर्भ में ही सर्जरी हो सकती है। एम्स भी इसमें सक्षम है। संस्थान के पीडियाट्रिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. मीनू बाजपेयी ने कहा कि संस्थान में फीटल मेडिसिन की सुविधा है। इसके तहत कई तरह की बीमारियों का गर्भ में ही बच्चों का इलाज किया जाता है।
जिन बच्चों में फेफड़े का सही विकास नहीं हो पता, ऐसे बच्चों का इलाज भी गर्भ में किया गया है। गर्भ में रीढ़ की जन्मजात बीमारी की सर्जरी ज्यादा जटिल प्रक्रिया है। इसमें सर्जरी कर बच्चे को वापस गर्भ में स्थापित किया जाता है और गर्भ को बंद कर दिया जाता है। ताकि समय पर प्रसव हो सके। फीटल सर्जरी में प्रीमैच्योर प्रसव या गर्भपात का खतरा रहता है। इसलिए जांच में यह पता चलना जरूरी है कि गर्भस्थ बच्चा सर्जरी के लिए कितना उपयुक्त है। कहीं ज्यादा कमजोरी तो नहीं।
बच्चा अधिक कमजोर होने पर सर्जरी के बाद जच्चा-बच्चा को खतरा हो सकता है। इसलिए जांच तकनीक में भी अधिक दक्षता की जरूरत है। इन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि संस्थान में मातृ व शिशु ब्लॉक का निर्माण चल रहा है। अगले साल के मध्य तक यह शुरू हो जाएगा। एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी इसका पूरा भरोसा दिया है। न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसएस काले ने भी कहा कि जल्द यह सुविधा शुरू की जाएगी।