चेन्नई: बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने शुक्रवार को दिलीप वेंगसरकर के उन दावों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि इस पूर्व भारतीय कप्तान को चयन समिति के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए वह जिम्मेदार थे. श्रीनिवासन ने इन आरोपों को ‘पूरी तरह से गलत, प्रेरित और निराधार’ बताया.एन श्रीनिवासन ने कहा- झूठेे हैं वेंगसरकर, पता नहीं क्यों ऐसी बातें कर रहे हैं

श्रीनिवासन ने चेन्नई में पत्रकारों से कहा, ‘‘ वह किसकी तरफ से ऐसी बातें बोल रहे हैं. इसके पीछे का मकसद क्या है. यह जो कुछ भी है, यह सच्चाई नहीं है. जब एक क्रिकेटर इस तरह की बात करता है तो यह अच्छा नहीं है. उनकी टिप्पणी कि वह पद पर नहीं बने रहें, इसके लिए मैंने हस्तक्षेप किया, कतई सच नहीं है. अब इस बात को कहने का मतलब क्या है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं चयन मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता था. वह किस हस्तक्षेप की बात कर रहे हैं.’’ श्रीनिवासन ने कहा कि वेंगसरकर ने 2008 में चयन समिति के अध्यक्ष का पद इसलिए गंवाया था क्योंकि वह मुंबई क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष पद पर बने रहना चाहते थे.

वेंगसरकर के आरोप

गुरुवार को मुंबई में एक समारोह में दिलीप वेंगसरकर ने खुलासा किया था कि 2008 में कोहली को बद्रीनाथ के स्थान पर भारतीय टीम में शामिल करने की कीमत उन्हें अपना पद गंवा कर चुकानी पड़ी थी. उन्होंने कहा था कि इस चयन से एन श्रीनिवासन नाराज हो गए और चीफ सिलेक्टर के रूप में उनका कार्यकाल सीमित हो गया.

वेंगसरकर के मुताबिक बद्रीनाथ आईपीएल में श्रीनिवासन की चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलते थे, फिर भी कोहली को इसलिए चुना गया क्योंकि उन्होंने 2008 के इमर्जिंग प्लेयर टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया था. इससे पहले उनकी कप्तानी में अंडर 19 भारतीय टीम वर्ल्ड कप भी जीत चुकी थी. हालांकि, श्रीलंका के खिलाफ इस सीरीज में बाद में बद्रीनाथ को भी टीम इंडिया में जगह मिल गई थी क्योंकि सचिन तेंदुलकर उपलब्ध नहीं थे. कोहली ने सीरीज के पांच मैचों में 31.50 की औसत से रन बनाए थे जबकि तीन मैचों में बद्रीनाथ का औसत 19.50 ही था.