उन्नाव। बांगरमऊ में संक्रमित सुई लगाकर एचआइवी बांटने के मामले में नामजद झोलाछाप राजेश यादव को बुधवार शाम बांगरमऊ कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बीती 31 जनवरी को एचआइवी के 38 मामले सामने आने के बाद डीएम रवि कुमार एनजी के निर्देश पर सीएचसी प्रभारी ने अगले ही दिन झोलाछाप के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था।
मामले में बुधवार को जांच करने राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की प्रभारी प्रीती पाठक भी पहुंची। बांगरमऊ में एचआइवी के एक के बाद एक केस काफी समय से आ रहे हैं, लेकिन 31 जनवरी को हसनगंज सेंटर में जांच में एक साथ 38 एचआइवी के संभावित रोगी सामने आने के बाद खलबली मच गई थी। काउंसिलिंग में 21 पीडि़तों ने एक झोलाछाप के बारे में बताया जिसने एक ही सुई से कई लोगों को इंजेक्शन लगाया।
उस झोलाछाप की संक्रमित सुई से एचआइवी का संक्रमण पीडि़तों को होने की बात सामने आई। डीएम ने सीएचसी प्रभारी पीके दोहरे को झोलाछाप के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया। बताते हैं कि नामजद झोलाछाप राजेश बांगरमऊ के स्टेशन रोड और पलिया गांव में छप्पर के नीचे अपनी दुकान लगाकर लोगों का दस रुपये में इलाज करता था। तलाश में जुटी पुलिस ने राजेश को उसके गांव के पास से गिरफ्तार कर लिया।
तीन साल डाक्टर का सहायक रहा आरोपी
कोतवाली प्रभारी अरुण प्रताप सिंह के मुताबिक राजेश ने पूछताछ में बताया है कि बांगरमऊ कस्बे में वह पहले एक डाक्टर के पास सहायक का काम करता था। तीन साल तक काम करते करते उसे अधिकांश दवाओं की जानकारी हो गई थी। इसके बाद उसने स्टेशन रोड पर अपना दवाखाना खोल लिया। वह आने वाले रोगियों को इंजेक्शन जरूर लगाता था। फीस कम होने के कारण उसके यहां भीड़ काफी लगती थी।
गलत नाम से गिरफ्तारी में देरी
एक फरवरी को जो एफआइआर सीएचसी प्रभारी ने दर्ज कराई, उसमें झोलाछाप का नाम राजेंद्र यादव निवासी गुरुबक्स खेड़ा लिखा था। पुलिस ने मामले की जांच की तो पता चला कि झोलाछाप का असली नाम राजेश यादव पुत्र नत्था है और वह शिवबक्स खेड़ा का मूल निवासी है। इसी के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।