
इस दौरान सीबीआई ने अदालत से दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की। मालूम हो कि बीते चार मार्च को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म पीडि़ता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में भाजपा से निष्कासित पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर, उनके भाई और दो दरोगा समेत सात आरोपियों को दोषी करार दिया था।
अदालत ने सेंगर को आईपीसी की धारा 304 और 120 बी के तहत दोषी ठहराया था, जबकि चार आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने इस दौरान फैसला सुनाते हुए कहा था कि सेंगर का पीडि़ता के पिता की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने कहा, ”पीड़िता के पिता की बेरहमी से पिटाई की गई, जिससे उनकी मौत हो गई।
पिछली सुनवाई के दौरान जज ने कहा था कि यह उनकी जिंदगी का सबसे चुनौतीपूर्ण ट्रायल रहा है। इससे पहले कुलदीप सेंगर पर लगा दुष्कर्म का आरोप भी सिद्ध हो चुका है और फिलहाल वह तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा भुगत रहा है।
मालूम हो कि जिस युवती के साथ दुष्कर्म के दोष में सेंगर जेल की सजा काट रहा है, उसके पिता की 9 अप्रैल, 2018 को न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी। इस मामले में अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर समेत उसके भाई जयदीप सिंह उर्फ अतुल सेंगर, सब इंस्पेक्टर कामता प्रसाद, एसएचओ अशोक सिंह भदौरिया, शैलेन्द्र सिंह उर्फ टिंकू सिंह, विनीत मिश्रा उर्फ विनय मिश्रा, बीरेन्द्र सिंह उर्फ बउवा सिंह, राम शरण सिंह उर्फ सोनू सिंह, शशि प्रताप सिंह उर्फ सुमन सिंह, कॉन्स्टेबल आमिर खान और शरदवीर सिंह के खिलाफ आरोप तय किए थे।
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