उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने पार्टी के चिंतन शिविर में PM मोदी पर बोला हमला, पढ़े पूरी खबर

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के धार्मिक ध्रुवीकरण के राजनीतिक माडल को लोगों को निरंतर डर के साए में रखने का तरीका बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के चिंतन शिविर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि भाजपा-संघ ने देश की जनता को भय के माहौल में जीने को मजबूर कर दिया है और अल्पसंख्यकों को विशेष तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। सोनिया ने ध्रुवीकरण की राजनीति को लेकर नवसंकल्प चिंतन शिविर में जिस आक्रामक अंदाज में हमला बोला है, उसका संकेत साफ है कि कांग्रेस 2024 के चुनाव में अपनी विचारधारा की दुविधा को खत्म कर भाजपा-संघ के मुखर हिंदुत्व के खिलाफ सियासी रूप से हमलावर होगी।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि यह जहां पार्टी के लिए आत्म चिंतन का मौका है वहीं भाजपा, आरएसएस और उसके सहयोगियों की नीतियों के परिणामस्वरूप देश के सामने आई चुनौतियों पर चिंतन भी अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि यह बात दर्दनाक रूप से स्पष्ट है कि ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ (मैक्सिमम गवर्नेंस और मिनिमम गवर्नमेंट) से प्रधानमंत्री मोदी और उनके सहयोगियों का मतलब अल्पसंख्यकों पर ‘क्रूर’ अत्याचार करना है। इससे उनका असली चेहरा सामने आ गया है। अल्पसंख्यक जो हमारे समाज का अटूट अंग और बराबर के नागरिक हैं, उन्हें जान बूझकर निशाना बनाया।

इतिहास के नाम पर परोसा जा रहा है झूठ: सोनिया गांधी

राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किए जाने की ओर इशारा करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार के शासन के मूल मंत्र का मतलब अपने विरोधियों को डराना, धमकाना, उनकी छवि को नुकसान पहुंचाना, उन्हें झूठे बहानों से जेल में डालना और उनके खिलाफ जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल करना है। साथ ही उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इतिहास के नाम पर भरपूर झूठ परोसते हुए हमारे महान नेताओं विशेषकर जवाहरलाल नेहरू की छवि बिगाड़ने की कोशिश हो रही है और महात्मा गांधी के हत्यारों व उनके वैचारिक पथ प्रदर्शकों का महिमा मंडन किया जा रहा है।

खतरनाक तरीके से बढ़ रही है बेरोजगारी: सोनिया गांधी

अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नोटबंदी ने इसे तबाह कर दिया और आज भारी तादाद में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग ठप हो गए हैं। इसके चलते बेरोजगारी खतरनाक तरीके से बढ़ रही है और ऐसा पहली बार हुआ है कि लोगों ने नौकरी ढूंढना ही बंद कर दिया है। कृषि कानूनों की वापसी का एलान करते वक्त न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी से जुड़े मसले का हल निकालने के वादे पर अब तक कार्रवाई नहीं होने को लेकर उन्होंने सवाल उठाया और महंगाई को लेकर भी सरकार पर प्रहार किया।

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