ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने शनिवार को चेतावनी दी कि परमाणु समझौते से हटने पर अमेरिका पछताएगा। उन्होंने कहा कि समझौते को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले का जबाव देने के लिए ईरान ने योजना तैयार कर ली है। ट्रंप ने यूरोपीय सहयोगियों से 12 मई तक समझौते की खामियां दूर करने को कहा है। ऐसा नहीं होने पर अमेरिका के इससे अलग होने का एलान किया है।
ट्रंप के फैसले का जवाब देने के लिए योजना तैयार
रूहानी ने कहा, ‘अगर अमेरिका परमाणु समझौते से अलग होगा, तो वह ऐसा पछताएगा जैसा कि इतिहास में कभी नहीं हुआ। ट्रंप का जवाब देने के लिए हमारे पास योजना है।’ हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि ईरान कैसे जवाब देगा, लेकिन ट्रंप के फैसले का सामना करने के लिए जरूरी आदेश दे दिए गए हैं, खासकर ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन को।
उन्होंने कहा कि ट्रंप यह जान लें कि हमारी जनता एकजुट है। रूहानी एक रैली में भाषण दे रहे थे जिसे सरकारी टीवी पर प्रसारित किया गया। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी अमेरिका को समझौते में बनाए रखने के लिए ईरान के साथ बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम, 2025 के बाद परमाणु गतिविधियों और सीरिया व यमन जैसे संकटग्रस्त देशों में उसकी भूमिका पर सीधी बातचीत करना चाहते हैं।
रूहानी ने कहा कि हम अपने हथियार और रक्षा को लेकर किसी से बातचीत नहीं करेंगे। गौरतलब है कि 2015 में ईरान और अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन व रूस के बीच परमाणु समझौता किया गया था। इसके तहत परमाणु कार्यक्रम बंद करने के एवज में ईरान को प्रतिबंधों में छूट दी गई। ओबामा प्रशासन के दौरान हुए इस समझौते को ट्रंप ने सबसे खराब समझौता करार दिया है।
शांति वार्ता अमेरिकी दबाव का नतीजा नहीं
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने कहा है कि परमाणु निरस्त्रीकरण और बातचीत की उसकी घोषणा अमेरिका के प्रतिबंधों और दबाव का नतीजा नहीं है। उसने चेताया कि अमेरिका के ऐसे दावे से कोरियाई प्रायद्वीप के पुरानी स्थिति में लौटाने का खतरा है। गौरतलब है कि अगले कुछ हफ्तों में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की मुलाकात होनी है। ट्रंप ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि वह उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध और दबाव बनाए रखेंगे और पिछली गलतियों को नहीं दोहराएंगे। साथ ही कहा था कि उनके सख्त रख से ही उत्तर कोरिया ने ऐसी घोषषणा की।
उत्तर कोरिया की सरकारी न्यूज एजेंसी केसीएनए के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका परमाणु निरस्त्रीकरण के उसके वादे को प्रतिबंधों और अन्य दबाव का नतीजा बताकर लोगों को गुमराह कर रहा है। उत्तर कोरिया के हाल के कदमों को कमजोरी की निशानी बताना बातचीत के लिए अनुकूल नहीं होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका बातचीत के मौजूदा माहौल को बिगाडऩे के लिए जानबूझकर उत्तर कोरिया को उकसा रहा है। उसे दक्षिण कोरिया में रणनीतिक सामान की तैनाती और मानवाधिकार का मसला उठाकर उकसाना नहीं चाहिए। उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को लेकर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने उस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। 27 अप्रैल को किम और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन की शिखर बैठक में कोरियाई प्रायद्वीप को पूरी तरह परमाणु हथियार मुक्त करने का संकल्प लिया गया।