देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में केरल भी शामिल है. शनिवार शाम तक यहां Covid19 के 306 मरीज सामने आ चुके थे. अब तक राज्य में इस बीमारी से दो लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में 50 लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें ठीक होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी मिल चुकी है.
कोरोना से ठीक होने वालों में पठानमथिट्टा के रहने वाले सबसे उम्रदराज दंपति- थॉमस (93) और मरियाम्मा (88) भी हैं. केरल में 7 विदेशी नागरिकों को भी पॉजिटिव पाए जाने पर इलाज के लिए भर्ती किया गया था. इनमें ब्रिटिश नागरिक 57 साल के ब्रायन लॉकवुड भी शामिल हैं.
ब्रायन अपनी पत्नी समेत 18 लोगों के साथ केरल के टूर पर आए थे. ब्रायन को दुबई की फ्लाइट पकड़ने से कुछ वक्त पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हफ्तों के इलाज से ठीक होने के बाद ब्रायन को कलामास्सेरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है. ब्रायन ने आजतक के साथ बातचीत में इलाज के अपने अनुभव साझा किए.
सवाल- आपको कोच्चि से दुबई की फ्लाइट पकड़ने से कुछ ही लम्हे पहले अस्पताल ले जाया गया. क्या आप बताएंगे कि ये भ्रम की स्थिति क्यों बनी?
ब्रायन- मेरा कुछ दिन पहले कोट्टायम में बुखार की वजह से Covid19 टेस्ट किया गया था. मैंने और मेरी पत्नी ने फिर खुद को मुन्नार में होटल में सेल्फ आइसोलेशन में रख कर टेस्ट के नतीजे का इंतजार किया. 14 मार्च को हमें बताया गया कि टेस्ट नेगेटिव आया है. इसके बाद हमारी टूर पार्टी ने अगले दिन विमान पकड़ने का इरादा बनाया. मैं अभी विमान पर नहीं चढ़ पाया था कि मुझे बताया गया कि मेरा टेस्ट पॉजिटिव आया है.
सवाल- आपको कैसा लगा जब अधिकारियों ने आपको अस्पताल शिफ्ट करने की बात कही और आपकी फ्लाइट मिस हुई?
ब्रायन- जब गेट पर मेरा नाम पुकारा गया, मुझे भ्रम हुआ कि वो क्यों मुझे बुला रहे हैं. जब मेरी पत्नी और मुझे पहले होल्डिंग एरिया और अस्पताल ले जाया गया तो मुझे यही लग रहा था कि मैं नेगेटिव हूं. लेकिन जब सच सुना तो मैं डर गया.
सवाल- कोच्चि के सरकारी अस्पताल में आपका इलाज कैसा रहा?
ब्रायन- मेरी पत्नी और मुझे अलग कर Covid19 का टेस्ट किया गया. हमारे एक्स-रे हुए, जिनमें दिखाया गया कि मुझे निमोनिया है. डॉ फतेहुद्दीन और डॉ जैकब ने अपनी टीम के साथ जल्दी ही इलाज शुरू कर दिया. उन्होंने मुझे HIV ड्रग्स या अन्य एंटीवायरल्स में से विकल्प चुनने के लिए कहा. मेरा निमोनिया बिगड़ गया तो उन्होंने मुझे वेंटिलेटर पर रखा. ऐसा करने से मेरी रिकवरी में बहुत मदद हुई.
सवाल- क्या आप इलाज के दौरान मिली सुविधाओं, खाने और मेडिकल टीम के बर्ताव से संतुष्ट हैं?
ब्रायन- वहां का माहौल कठोर था, हालांकि मुझे अहसास हुआ कि ये वायरस को फैलने से रोकने की संभावना को घटाने के लिए था. आइसोलेशन रूम को नियमित तौर पर सैनेिटाइज किया जाता था. क्योंकि ये स्थानीय अस्पताल था इसलिए खाना हमेशा पश्चिमी खानपान के मुताबिक नहीं था. लेकिन मेडिकल टीम की ओर से हमेशा बताया जाता कि और क्या-क्या विकल्प मिल सकते हैं. मेडिकल टीम वर्ल्ड क्लास थी. उसके सदस्य बहुत विनम्र, खयाल रखने वाले होने के साथ सही मायने में प्रोफेशनल्स थे. इससे बेहतर देखभाल की मैं नहीं सोच सकता था.
सवाल- क्या इलाज के दौरान आपको कभी ऐसा लगा कि आप अपने देश में होते तो बेहतर ट्रीटमेंट मिलता?
ब्रायन- नहीं मैं ऐसा नहीं समझता कि ब्रिटेन में मेरा बेहतर इलाज होता. सभी मेडिकल फैसले ठीक वक्त पर लिए गए. मेडिकल टीम समर्पित थी कि मरीज के इलाज के लिए जो बेहतर से बेहतर हो सकता है, वो किया जाए. वो लगातार मेरी पत्नी को भी मेरी स्थिति के बारे में बताते रहे. इससे मेरी पत्नी को भी निश्चिंत रहने में बहुत मदद मिली.
सवाल- आप Covid19 से लड़कर उसे मात दे चुके हैं, ऐसे में आपका बाकी दुनिया खास तौर पर और मरीजों, मेडिकल स्टाफ के लिए क्या संदेश है?
ब्रायन- इस पर कुछ कहना मेरे लिए वाकई मुश्किल है. इसने मेरा पूरा नजरिया ही बदल दिया है कि मेरे लिए अब क्या अहम है. भौतिक चीज़ें नहीं अब मेरे लिए मेरा परिवार और सेहत मायने रखते हैं. मैं हर एक से कहना चाहूंगा कि जो भी सरकार दिशा-निर्देश और सलाह देती है, उन्हें गंभीरता से लें क्योंकि ये आपके ही फायदे के लिए है.
मैं बहुत किस्मत वाला हूं. मेरी स्थिति दूसरी ही होती लेकिन मुझे सही समय पर सही इलाज मिला. अस्पताल में मेडिकल स्टाफ पूरी तरह से पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) से लैस था. उनके शरीर का कोई भी हिस्सा खुला नहीं होता था. सभी अस्पतालों को अपने हेल्थकेयर स्टाफ का ऐसे ही ध्यान रखना चाहिए.