उस चुनाव में पार्टी प्रत्याशी ने सपा, भाकपा माले, पीस पार्टी और चैतन्य पार्टी के प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए 13,444 वोट के साथ चौथा स्थान हासिल किया था। मतप्रतिशत से उत्साहित पार्टी ने निकाय चुनाव में भी टिकट बांटे, लेकिन परिणाम विपरीत ही रहे। मेयर से लेकर पार्षद प्रत्याशियों को हार का स्वाद चखना पड़ा था।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी को भाजपा को टक्कर देने के लिए जिताऊ चेहरा नहीं मिल पा रहा है। निकाय चुनाव में उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं होने के साथ ही लोकसभा चुनाव की दृष्टि से संगठन मजबूत नहीं है। पार्टी का मानना है कि ऐसी स्थितियों में प्रत्याशी उतारने से भाजपा के खिलाफ वोटों का बिखराव होगा। इससे कहीं न कहीं भाजपा को फायदा मिलेगा, लिहाजा पार्टी हाईकमान का मन है कि भाजपा को हराने वाले को समर्थन दिया जाए। फिलहाल समर्थन देने के बाबत पार्टी अपनी रणनीति का खुलासा करने से बच रही है।
प्रदेश में पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही है लेकिन पार्टी की स्थिति मजबूत है। हम चुनाव में भाजपा के खिलाफ वोटों का बिखराव नहीं चाहते हैं। भाजपा के खिलाफ सबसे मजबूत प्रत्याशी अगर पार्टी से समर्थन मांगेगा तो उस पर विचार कर निर्णय लेंगे। इसके लिए संबंधित लोकसभा के कार्यकर्ता और ईकाइयों की राय भी ली जाएगी।