लखनऊ.गणतंत्र दिवस पर डीजीपी ओपी सिंह अपने कार्यालय में तिरंगा फहराया। 6 पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति का विशिष्ट पुलिस पदक दिया गया। 70 पुलिसकर्मियों को दीर्घकालीन व सराहनीय सेवा सम्मान दिया गया। 651 पुलिसकर्मियों उत्कृष्ट सेवा सम्मान चिन्ह एवं प्रशंसा चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। हालांकि पुलिस पदकों के वितरण पर “भेदभाव” का साया रहा। नाम घोषित किये जाने के बाद अंतिम मिनटों में पांच आईपीएस अधिकारियों का नाम पुरस्कार सूची से हटा दिया गया। यही नहीं यूपी पुलिस के एक दशक के इतिहास में पहली बार किसी भी अधिकारी-जवान को वीरता पुरस्कार (गैलेन्ट्री) नहीं मिला।
– 69वें गणतंत्र दिवस पर डीजीपी ने 50 पुलिसकर्मियों को उत्कृष्ट सेवा सम्मान, 200 पुलिसकर्मियों को सराहनीय सेवा सम्मान, 17 पुलिसकर्मियों को शौर्य प्रदर्शन सम्मान, 251 पुलिसकर्मियों को प्रशंसा चिन्ह सिल्वर सम्मान और 150 पुलिसकर्मियों स्वर्ण सम्मान दिया गया।
सम्मान पाने वाले पुलिसकर्मी
– डीजी सतर्कता हितेश चंद्र अवस्थी, एडीजी बीपी जोगदंड, आरके विश्वकर्मा, नवनीत सिकेरा भगवान स्वरूप, वितुल कुमार और रमित शर्मा संजय सिंघल और हरीराम शर्मा, एसबी शिरडकर ,पीके मिश्र, आईजी डीके ठाकुर, डीआईजी विजय भूषण औऱ ओमकार सिंह,
डीआईजी केएस एमैनुअल को गोल्ड सम्मान दिया गया है।
-लखनऊ व मेरठ में एसएसपी पद पर रहते हुए खासी विवादित रही आईपीएस मंजिल सैनी को गोल्ड सम्मान दिया गया। एसएसपी हरीनारायण सिंह और अमित पाठक को गोल्ड दिया गया है।
सम्मान पाने वाले में ये भी हैं शामिल
– डीजी भवेश कुमार सिंह को मिलेगा सिल्वर
– एडीजी विजय कुमार और बृजभूषण को सिल्वर
– एडीजी चंद्र प्रकाश को भी प्रशंसा चिन्ह सिल्वर
– एडीजी अविनाश चंद्र और अजय आनंद को सिल्वर
– आईजी सतीश गणेश और अमिताभ यश को भी सिल्वर
– आईजी विनोद सिंह और पद्मजा चौहान को सिल्वर
– आईजी जयनारायण सिंह को भी सिल्वर
– डीआईजी ज्ञानेश्वर तिवारी को भी सिल्वर
– डीआईजी प्रवीण कुमार को भी सिल्वर
– एसएसपी अनंद देव और स्वप्निल ममगई को सम्मान
– एसपी राम किशुन और शिव हरी मीणा को सम्मान
– एसपी आशीष तिवारी और मो. इमरान को सम्मान
– एसपी गौरव सिंह और कवींद्र सिंह को सम्मान
– एसपी जेके शुक्ल और हरीश चंद्र को भी सिल्वर
– एसएसपी अभिषेक सिंह को भी सम्मान
– एसपी संजीव त्यागी को भी सिल्वर सम्मान
नहीं मिला किसी को वीरता पुरस्कार
अपराधियों की नकेल कसने में अदम्य साहस का परिचय देने वाले पुलिस कर्मियों को राज्य सरकार की संस्तुति पर वीरता पुरस्कार (गैलेन्ट्री) के लिए चयनित किया जाता है। मगर इस बार यूपी के किसी भी पुलिस कर्मी को यह पुरस्कार नहीं मिला।
गैलेन्ट्री के नियम क्या हैं
-अदम्य साहस का परिचय देने वाले पुलिस कर्मी को राज्य सरकार की संस्तुति पर केन्द्र सरकार गैलेन्ट्री पुरस्कार देती है। (इसमें व्यक्ति, समूह की जान बचाने, समाज के लिए खतरा बन चुके अपराधी को गिरफ्तार करने अथवा ढेर करने. आपदा में जान माल की रक्षा करने जैसे मुद्दों पर गैलेन्ट्री पुरस्कार दिया जाता है।)
-यूपी कॉडर के 30 आईपीएस, 52 पीपीएस और सैकड़ों की तादाद में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, सिपाही, फायर मैन, एटीएस, एसटीएफ के कमान्डो को यह पुरस्कार मिल चुका है।
क्या है प्रक्रिया
-जब कोई पुलिस कर्मी निर्धारित मानकों के अनुरूप अदम्य साहस का परिचय देता है तो संबंधित क्षेत्र के सुपरवाइजरी अधिकारी बहादुर पुलिस कर्मी का कार्यो का साइटेशन बनाकर एसपी के जरिये डीआइजी, आइजी और एडीजी के जरिये पुलिस के कार्मिक विभाग को भेजा है।
-डीजीपी की अध्यक्षता वाली कमेटी इस साइटेशन का परीक्षण करती है और यदि उचित समझती है तो केन्द्र सरकार से संबंधित पुलिस कर्मी अथवा अधिकारी को गैलेन्ट्री पुरस्कार देने की संस्तुति करती है।
-केन्द्रीय गृह मंत्रालय केन्द्रीय खुफिया एजेंसी के जरिये इस साइटेशन का परीक्षण कराती और इसके बाद ही गैलेंट्री देने का प्रस्ताव मंजूर होता है।
-अगर किसी अधिकारी ने खूंखार अपराधी, डकैत, आतंकी को मार गिराया है, तब भी उसे उन्ही परिस्थितियों में गैलेन्ट्री दी जाएगी, जब मजिस्ट्रेटी जांच व मानवाधिकार की जांच में क्लीन चिट मिल जाए। जब तक यह जांच पूरी नहीं होती, साइटेशन केन्द्र को भेजा नहीं जा सकता है।
-बतातें चले कि योगी सरकार बनने के बाद यूपी पुलिस ने ढेरों अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया है, जिसमें कई एनकाउंटर खासे विवादित रहे हैं। इन सभी की मजिस्ट्रेटी जांचें अभी लंबित हैं, एेसे में इस साल कथित रूप से बहादुरी दिखाने वाले किसी पुलिस कर्मी का नाम ही गैलेन्ट्री के लिए नहीं भेजा गया था।