अहोई अष्टमी दिवाली से आठ दिन पहले मनाया जाने वाला त्योहार महिलाओं के लिए खास होता है। इस दिन वे अपनी संतान की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।
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कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा करने से संतान का जीवन खुशियों से भर जाता है। इस बार अहोई व्रत 31 अक्टूबर को पड़ रहा है। माताएं शाम 05 बजकर 45 मिनट से शाम 07 बजकर 03 मिनट तक पूजा कर सकती हैं।
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इस व्रत में महिलाओं को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। स्वच्छ वस्त्र धारण कर मिट्टी के मटके में पानी भरना चाहिए। भोग में पूरी, हलवा, चना आदि होता है।पूरे दिन कुछ खाएं नहीं और अहोई माता का ध्यान करें। आपके संतान की जीतनी आयु होगी उतने ही चांदी के मोती धागे में डालें और पूजा में रखें।
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शाम को अहोई माता की पूजा होती है .माता को भोग लगाया भोग लगाया जाता है। अहोई माता की माला को दीवाली तक गले में पहनना होता है। शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर कच्चा भोजन किया जाता है।इस व्रत को तारे देखने के बाद खोला जाता है।
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