भोपाल: नरेंद्र मोदी ने हाल ही में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम भीम ऐप को लॉन्च किया था। एक्सपर्ट्स इस सिस्टम को लेकर आपत्ति जता रहे हैं। उनका कहना है कि यह सिस्टम अभी भी सिक्योर नहीं है। पहचान और ऑथेंटिकेशन में खामियों की वजह से सेंध लगाना आसान है। उधर, एसबीआई ने कहा है कि आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम या अंगुली से होने पेमेंट सिस्टम को लेकर उठ रहीं सभी चिंताओं पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। बैंक इस पेमेंट गेटवे को सेफ बनाने के लिए हरसंभव तरीके पर काम करेगा।
WhatsApp वेब में हो सकेगा मैसेज रिवोक, अब कर सकेंगे UnSend!इन खामियों के चलते हो रही है चिंता…
1. आधार कार्ड बनाने में पहचान और वैरिफिकेशन की प्रोसेस में कई खामियां थीं। आधार कार्ड को पेमेंट सिस्टम से जोड़ने पर ये सारी खामियां खुद ही इस सिस्टम में आ गई हैं।
2. आधार कार्ड का डॉटा मैनेज करने वाली संस्था यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के एक पूर्व सीनियर अफसर ने आशंका जताई है कि बायोमेट्रिक मिसमैच के कारण पेमेंट अटकने के मामले सामने आए हैं।
– हालांकि यूडीएआई का दावा है कि उसके द्वारा प्रमाणिक डिवाइस के जरिए होने वाले रिजेक्ट रेट करीब 2 फीसदी के आसपास ही है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ट्रांजेक्शन फेल होने के मामले काफी ज्यादा हैं। वाटल कमेटी की डिजिटल पेमेंट पर तैयार रिपोर्ट कहती है कि करीब 16 लाख से अधिक आधार पर आधारित अथेंटिकेशन रिक्वेस्ट रिजेक्ट हुई हैं।
एक्सपर्ट्स ने सवाल खड़े किए
– एक्सपर्ट्स और एजेंसियां वक्त-वक्त पर इस सिस्टम में कस्टमर के फिंगरप्रिंट क्लोन होने की आशंका जताते रहे हैं। साथ ही आधार कार्ड बनाने में पहचान और ऑथेंन्टिकेशन
के लिए अपनाए गए तौर तरीकों पर भी सवालिया निशान लगाए थे।
– एसबीआई के मैनेजिंग डायरेक्टर रजनीश कुमार ने कहा कि बैंक हर पेमेंट सिस्टम को सिक्योर बनाने की कोशिश कर रहा है। कुमार ने कहा कि बैंक इस सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए सभी एजेंसियों और कस्टमर्स से मिलने वाले सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगा। इस बारे में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जाहिर की गई आशंकाओं पर भी काम किया जा रहा है। कुमार ने कहा कि यह पेमेंट सिस्टम लेस कैश की ओर उठाया गया एक अहम कदम है। इससे आम आदमी को पेमेंट करने में आसानी होगी।
– बेंगलुरू स्थित रिसर्च संस्था सेंट्रल फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी सीआईएस के सुनील अब्राहम का कहना है- ” बेशक इस सिस्टम में पेमेंट की लागत बेहद कम है। लेकिन किसी डिवाइस पर केवल फेविकॉल या गम लगाकर आसानी से उसके फिंगरप्रिंट को कॉपी किए जा सकते हैं।”
– उधर, इस पेमेंट गेटवे का सपोर्ट करने वाली एजेंसियां कहती हैं कि एडवाइस स्केनर लगाकर इस तरह फिंगरप्रिंट की कॉपी होने से रोका जा सकता है। लेकिन उसकी लागत काफी ज्यादा है।
क्या करना होगा?
– आधार-पे के तहत कोई भी पेमेंट करने के लिए आपका बैंक अकाउंट आधार से लिंक होना चाहिए। साथ ही आपको अपना आधार नंबर भी याद रखना हाेगा।
इस तरह होगा पेमेंट
1. इस पेमेंट सिस्टम से जुड़ने के लिए व्यापारी को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। फिर उसे बायोमेट्रिक ऑथेंन्टिकेशन डिवाइस को अपने पेमेंट टर्मिनल या स्मॉर्टफोन से जोड़ना होगा।
2. पेमेंट टर्मिनल के रूप में उपयोग किए जाने वाले डिवाइस का केंद्र सरकार की ओर से अथेंटिकेशन होना जरूरी है।
3. पेमेंट के लिए ग्राहक अपनी पहचान के लिए अंगूठे की पहचान बायोमेट्रिक डिवाइस के जरिए करेगा। इसके बाद ही पेमेंट होगा। इसके तुरंत बाद रियल टाइम में खरीदारी की राशि का पेमेंट ग्राहक के खाते से डेबिट होकर व्यापारी के खाते में क्रेडिट हो जाएगा। ग्राहक केशेलेस पेमेंट करके घर चला जाएगा।
कुछ शहरों में चल रहा ट्रायल
– सरकार ने 6 से 9 माह में 70% दुकानों और ट्रांजेक्शन प्वाइंट्स पर आधार-पे फैसेलिटी शुरू करने का टारगेट रखा है।
– सरकार का दावा है, चूंकि उंगली का निशान लिए बिना पेमेंट नहीं होगी, लिहाजा धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं रहेगी।