पुलवामा में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद जिलाजीत यादव का पार्थिव शरीर शुक्रवार की सुबह जौनपुर पहुंचा। अंतिम दर्शन को उमड़े जनसैलाब ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। भारत माता की जय और जिलाजीत यादव अमर रहें… के नारों से पूरा क्षेत्र गूंजता रहा। इजरी में पैतृक आवास पर शव पहुंचते ही पत्नी पूनम, मां उर्मिला देवी सहित अन्य परिवार के लोग ताबूत से लिपट गए।
मासूम बेटे जीवांश ने भी तिरंगे में लिपटे पिता के पैर छुकर उन्हें नमन किया। गोरखा रेजीमेंट के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। यहां प्रभारी मंत्री उपेंद्र तिवारी, राज्य मंत्री गिरीश चंद्र यादव, सांसद बीपी सरोज, विधायक हरेंद्र प्रताप सिंह, डीएम दिनेश कुमार सिंह, एसपी अशोक कुमार सहित पुलिस-प्रशासन के अफसरों व जनप्रतिनिधियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
इस दौरान हजारों की भीड़ उमड़ी। लोग घरों की छतों और पेड़ों पर चढ़कर वीर सपूत की एक झलक पाने के लिए आतुर नजर आए। गांव से निकली अंतिम यात्रा दोपहर में गोमती तट पर स्थित रामघाट पहुंची। यहां पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
सपा के जिलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव, पूर्व सांसद तूफानी सरोज, पूर्व मंत्री जगदीश नारायण राय, डॉ. केपी यादव, नंदलाल यादव, रत्नाकर चौबे, सुमन यादव, पूर्व विधायक श्रद्धा यादव, भाजपा जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह आदि मौजूद रहे।
दरअसल, श्रीनगर में खराब मौसम के कारण अपराह्न तक विशेष विमान शहीद का पार्थिव शरीर लेकर वहां से उड़ान ही नहीं भर सका था। अंधेरा होता देख परिजनों और उपस्थित लोगों की सहमति पर शुक्रवार को अंतिम संस्कार करने का फैसला लिया गया। सेना का विमान रात में ही वाराणसी पहुंचा। वहां से सेना के जवान शहीद का पार्थिव शरीर लेकर जौनपुर के लिए रवाना हुए।
जलालपुर क्षेत्र के इजरी गांव निवासी जिलाजीत यादव की शहादत की खबर मिलने के बाद से ही उनके गांव में प्रशासनिक हलचल तेज हो गई थी। एसडीएम ने बुधवार ही को गांव पहुंचकर शहीद के घर तक मार्ग बनवाने का निर्देश दिया था। हालांकि गुरुवार को पार्थिव शरीर गांव पहुंचने की संभावना थी। इसके मद्देनजर सुबह से ही लोगों का हुजूम इजरी पहुंचने लगा था।
जलालपुर बाजार से शहीद के घर तक जगह-जगह बैनर-होर्डिंग लगा दिए गए थे। शहीद के अंतिम दर्शन की आस लिए लोग पूरे दिन गांव व आसपास जुटे रहे। प्रशासनिक अफसरों व राजनेताओं का भी गांव में जमावड़ा लगा रहा।
सुबह डीएम दिनेश कुमार सिंह व एसपी अशोक कुमार ने गांव पहुंचकर पीड़ित परिवार का हाल जाना। प्रदेश सरकार की ओर से दी जा रही 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद और एक सदस्य को नौकरी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने शहीद की स्मृति में पार्क बनवाने व प्रतिमा लगवाने के लिए राजस्व कर्मचारियों को गांव में जमीन चिह्नित करने का निर्देश दिया।
बताया कि परिवार की मंशानुसार एक सड़क का नामकरण भी शहीद जिलाजीत के नाम पर किया जाएगा। दोनों अफसर घंटों तक गांव में मौजूद रहे। प्रशासनिक हलचल के साथ ही पार्थिव शरीर शीघ्र पहुंचने की चर्चाएं भी शुरू हो गईं। फूल-माला लेकर लोग वीर सपूत को नमन करने के लिए तैयारी में जुटे थे, मगर अपराह्न तीन बजे तक शहीद को लेकर आने वाले विमान के श्रीनगर से ही न उड़ने की सूचना के बाद लोग मायूस हो गए थे।