आज है मासिक कालाष्टमी, जानिए पूजा विधि, भोग और मंत्र

आज 20 अप्रैल, 2025 दिन रविवार को मासिक कालाष्टमी मनाई जा रही है। यह दिन भगवान भैरव की पूजा के लिए समर्पित है। हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। माना जाता है कि भगवान भैरव शिव जी के रौद्र रूप हैं और उनकी पूजा से नकारात्मक शक्तियों, शत्रुओं और सभी बाधाओं का नाश होता है। कहते हैं कि कालाष्टमी का व्रत रखने से भक्तों को भयों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।

पूजा विधि
सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
भगवान भैरव के व्रत का संकल्प लें।
एक वेदी लें और उसपर भगवान भैरव की मूर्ति स्थापित करें।
भगवान भैरव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
भगवान भैरव को नीले रंग के फूल अर्पित करें।
भगवान भैरव को उनका प्रिय भोग जैसे – हलवा , खीर , गुलगुले ( मीठे पुए ) , जलेबी आदि अर्पित करें।
भगवान भैरव के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
कालाष्टमी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
अंत में भगवान भैरव की आरती करें।
पूजा खत्म होने के बाद प्रसाद परिवार व अन्य लोगों में बांटें।
पूजा में हुई सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
अगले दिन व्रत का पारण करें।

भगवान भैरव प्रिय भोग
उड़द की दाल के पकौड़े – यह भगवान भैरव का प्रमुख भोग माना जाता है।
गुलगुले – भैरव बाबा को गुलगुले बहुत ज्यादा पसंद है। ऐसे में आप इसे चढ़ा सकते हैं।
जलेबी – कहा जाता है कि जलेबी भगवान भैरव के प्रिय भोग में से एक है। ऐसे में इसे अर्पित करें। इससे रिश्तों में मधुरता बनी रहती है।
काले तिल की मिठाई – काले तिल का भोग और दान कालाष्टमी पर महत्वपूर्ण माना जाता है।

भगवान काल भैरव पूजा मंत्र
ॐ भैरवाय नमः
ॐ कालभैरवाय नमः
ॐ ह्रीं बटुक भैरवाय नमः
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट

कालाष्टमी व्रत के लाभ
कालाष्टमी का दिन भगवान भैरव की कृपा पाने का एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन विधि-विधान से उनकी पूजा करने और प्रिय भोग अर्पित करने से भक्तों के जीवन से नकारात्मकता दूर होती है और सभी भयों से सुरक्षा मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान भैरव अपने भक्तों की रक्षा सदैव करते हैं और उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।

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