सपा में चल रही उठापटक के बीच मुलायम सिंह सोमवार को इलेक्शन कमीशन (ईसी) से मिलेंगे। इस मीटिंग में वे पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावेदारी पेश करेंगे।
इससे पहले अखिलेश गुट के रामगोपाल यादव कमीशन में अपनी दावेदारी कर चुके हैं। उन्होंने ईसी को 7 बक्सों में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा डॉक्युमेंट्स सौंपे थे। बता दें कि ईसी ने दोनों पक्षों को साइकिल विवाद पर 9 जनवरी तक एफिडेविट देने को कहा था। इस बीच यह खबर आ रही है कि मुलायम आजम खान को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकते हैं।दोपहर 12:45 बजे ईसी जाएंगे मुलायम…
-झगड़े के बीच यह बात भी सामने आ रही है कि मुलायम आजम को सीएम फेस के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकते हैं।
– इसे लेकर आजम अपने आवास पर शिवपाल यादव और कुछ खास लोगों से चर्चा कर रहे हैं।
– मुलायम सिंह 12.45 बजे ईसी जाएंगे। उनके साथ अमर सिंह और शिवपाल यादव रहेंगे।
आजम खान क्यों?
– आजम खान पार्टी का मुस्लिम चेहरा हैं। साथ ही सपा हमेशा से मुस्लिम वोट बैंक को साधने की जुगत में रहती है।
– आजम खान पार्टी का मुस्लिम चेहरा हैं। साथ ही सपा हमेशा से मुस्लिम वोट बैंक को साधने की जुगत में रहती है।
– आजम को मुलायम का खास माना जाता है।
– इसके अलावा आजम दोनों ही खेमों में स्वीकार्य हैं। इस तरह से उनका कोई खुलकर विरोध नहीं कर सकता।
– इसके अलावा आजम दोनों ही खेमों में स्वीकार्य हैं। इस तरह से उनका कोई खुलकर विरोध नहीं कर सकता।
सीज हो सकता है सिंबल
– दोनों ही खेमे सिम्बल को लेकर अड़े हैं। जानकारों का कहना है कि इलेक्शन कमीशन इस पर जल्दी फैसला नहीं ले सकता है। जांच करने के लिए उसे वक्त चाहिए।
– ऐसे में जांच जारी रहने तक आयोग साइकिल निशान को फ्रीज कर दोनों गुटों को नया चुनाव चिह्न दे सकता है।
– इस बात का एहसास अखिलेश समर्थकों को भी है। इसीलिए रविवार को अखिलेश के करीबी एमएलसी उदयवीर ने कहा कि सिंबल बड़ी चीज नहीं है।
मुलायम ने खुद को बताया सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष
– वहीं, रविवार शाम मुलायम सिंह ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें उन्होंने कहा था- “मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं, शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष हैं और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हैं।”
– वहीं, रविवार शाम मुलायम सिंह ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें उन्होंने कहा था- “मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं, शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष हैं और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हैं।”
– “हमने रामगोपाल को 30 दिसंबर को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था। रामगोपाल ने जो सम्मेलन बुलाया वो फर्जी है।”
मुलायम ने जड़ा पार्टी ऑफिस पर ताला, अखिलेश के नेमप्लेट हटाई
– लखनऊ में मुलायम ने कहा था, “पार्टी के अंदर कोई विवाद नहीं है, तो समझौता कैसा?”
– रविवार को दिल्ली रवाना होने से पहले लखनऊ के पार्टी ऑफिस में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव की राष्ट्रीय अध्यक्ष और नरेश उत्तम की प्रदेश अध्यक्ष के नाम से लगी नेम प्लेट को हटवा दिया था।
– इसके बाद मुलायम के नाम वाली राष्ट्रीय अध्यक्ष और शिवपाल के नाम वाली प्रदेश अध्यक्ष की प्लेट दोबारा लगाई गईं। पार्टी ऑफिस के कमरों में ताला लगवाकर मुलायम दिल्ली रवाना हो गए।
– मुलायम ने अपने ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) जगजीवन से ऑफिस की चाबियां लेकर अपने पास रख लीं। इस दौरान अखिलेश खेमे के वर्कर्स नारेबाजी करते रहे।
– लखनऊ में मुलायम ने कहा था, “पार्टी के अंदर कोई विवाद नहीं है, तो समझौता कैसा?”
– रविवार को दिल्ली रवाना होने से पहले लखनऊ के पार्टी ऑफिस में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव की राष्ट्रीय अध्यक्ष और नरेश उत्तम की प्रदेश अध्यक्ष के नाम से लगी नेम प्लेट को हटवा दिया था।
– इसके बाद मुलायम के नाम वाली राष्ट्रीय अध्यक्ष और शिवपाल के नाम वाली प्रदेश अध्यक्ष की प्लेट दोबारा लगाई गईं। पार्टी ऑफिस के कमरों में ताला लगवाकर मुलायम दिल्ली रवाना हो गए।
– मुलायम ने अपने ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) जगजीवन से ऑफिस की चाबियां लेकर अपने पास रख लीं। इस दौरान अखिलेश खेमे के वर्कर्स नारेबाजी करते रहे।
– जब मीडिया ने पूछा कि क्या अखिलेश पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें रहेंगे?” इस पर मुलायम बोले, “क्या मैं इतना बेवकूफ दिखता हूं।”
– मुलायम दिल्ली पहुंचे और सीधे अमर सिंह के घर गए। यहां पार्टी वर्कर्स से भावुक होते हुए कहा, “मेरे पास गिनती के विधायक हैं। अखिलेश विद्रोही है पर मेरा बेटा है। वो जो कर रहा है, उसे करने दो।”
– मुलायम दिल्ली पहुंचे और सीधे अमर सिंह के घर गए। यहां पार्टी वर्कर्स से भावुक होते हुए कहा, “मेरे पास गिनती के विधायक हैं। अखिलेश विद्रोही है पर मेरा बेटा है। वो जो कर रहा है, उसे करने दो।”
अखिलेश गुट ने डेढ़ लाख से ज्यादा डॉक्यूमेंट्स ईसी को सौंपे
– 7 जनवरी को सपा के सिंबल मामले में रामगोपाल यादव अपना पक्ष रखने के लिए इलेक्शन कमीशन के ऑफिस पहुंचे थे।
– यहां रामगोपाल 7 बक्सों में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा डॉक्यूमेंट्स भरकर लाए थे। रामगोपाल ने चुनाव आयोग के सामने 6 बक्सों में 4,600 व्यक्तिगत एफिडेविट पेश किए।
– यहां रामगोपाल 7 बक्सों में करीब डेढ़ लाख से ज्यादा डॉक्यूमेंट्स भरकर लाए थे। रामगोपाल ने चुनाव आयोग के सामने 6 बक्सों में 4,600 व्यक्तिगत एफिडेविट पेश किए।
– उन्होंने कहा, “इलेक्शन कमीशन ने हमें 9 तारीख तक का वक्त दिया था। लेकिन, हमने सभी जरूरी कागजात सबमिट कर दिए।”
– उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और साइकिल पर हमारा हक है।
अब तक सुलह की 7 कोशिशें नाकाम:
– 31 दिसंबर 2016 :आजम खान ने अखिलेश यादव की मुलाकात मुलायम सिंह और शिवपाल यादव से करवाई।
– इसके बाद आपसी सहमति की बात सामने आई। यह मान लिया गया कि समझौते के बाद सारे विवाद खत्म हो गए।
– अखिलेश और रामगोपाल यादव ने 1 जनवरी 2017 को सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया। इसमें सपा की नेशनल प्रेसिडेंट पोस्ट से मुलायम को हटाकर पार्टी का संरक्षक बनाने का प्रस्ताव पास हुआ। साथ ही, शिवपाल को भी स्टेट प्रेसिडेंट पद से हटा दिया गया।
– इसके बाद आपसी सहमति की बात सामने आई। यह मान लिया गया कि समझौते के बाद सारे विवाद खत्म हो गए।
– अखिलेश और रामगोपाल यादव ने 1 जनवरी 2017 को सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया। इसमें सपा की नेशनल प्रेसिडेंट पोस्ट से मुलायम को हटाकर पार्टी का संरक्षक बनाने का प्रस्ताव पास हुआ। साथ ही, शिवपाल को भी स्टेट प्रेसिडेंट पद से हटा दिया गया।
क्यों नहीं हो सका समझौता?
– सूत्रों के मुताबिक, मुलायम से हुई मीटिंग में अखिलेश ने अपनी 4 शर्तें रखी थीं।
#पहली शर्त: अखिलेश ने अमर सिंह को पार्टी से बर्खास्त करने को कहा।
#दूसरी शर्त: शिवपाल यादव को राष्ट्रीय राजनीति में भेजा जाए।
#तीसरी शर्त: टिकट बंटवारा मुलायम और अखिलेश की सहमति से हो। इसमें किसी तीसरे की दखलंदाजी न हो।
#चौथी शर्त: इसके अलावा टीम अखिलेश के बर्खास्त लोगों को भी पार्टी में वापस लिया जाए।
– लेकिन अखिलेश की ये शर्तें नहीं मानी गईं।
#पहली शर्त: अखिलेश ने अमर सिंह को पार्टी से बर्खास्त करने को कहा।
#दूसरी शर्त: शिवपाल यादव को राष्ट्रीय राजनीति में भेजा जाए।
#तीसरी शर्त: टिकट बंटवारा मुलायम और अखिलेश की सहमति से हो। इसमें किसी तीसरे की दखलंदाजी न हो।
#चौथी शर्त: इसके अलावा टीम अखिलेश के बर्खास्त लोगों को भी पार्टी में वापस लिया जाए।
– लेकिन अखिलेश की ये शर्तें नहीं मानी गईं।
– 2 जनवरी : सपा के सिंबल पर दावेदारी के लिए शिवपाल और अमर सिंह के साथ मुलायम चुनाव आयोग पहुंचे। वहां मुलायम से मिलने आजम खान पहुंचे, लेकिन उन्हें फोन पर मुलायम ने कहा कि लखनऊ जा रहा हूं, वहीं बात होगी।
– 3 जनवरी :अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह के घर पर जाकर मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। अखिलेश की मांगें नहीं मानी गईं।
– 4 जनवरी : आजम के साथ मुलायम की 5 घंटे बातचीत हुई, लेकिन फिर भी समझौता नहीं हो सका। दरअसल, अमर सिंह को पार्टी से निकालने के मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी।
– 5 जनवरी : देर रात तक करीब 4 घंटे मुलायम, शिवपाल और अमर सिंह के बीच दिल्ली में बातचीत हुई थी। लखनऊ लौटने पर मुलायम से रात को उनके भाई अभयराम ने भी मुलाकात की थी।
– 6 जनवरी:सुबह अखिलेश यादव से शिवपाल और अमर ने मुलाकात की।
– 3 जनवरी :अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह के घर पर जाकर मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। अखिलेश की मांगें नहीं मानी गईं।
– 4 जनवरी : आजम के साथ मुलायम की 5 घंटे बातचीत हुई, लेकिन फिर भी समझौता नहीं हो सका। दरअसल, अमर सिंह को पार्टी से निकालने के मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी।
– 5 जनवरी : देर रात तक करीब 4 घंटे मुलायम, शिवपाल और अमर सिंह के बीच दिल्ली में बातचीत हुई थी। लखनऊ लौटने पर मुलायम से रात को उनके भाई अभयराम ने भी मुलाकात की थी।
– 6 जनवरी:सुबह अखिलेश यादव से शिवपाल और अमर ने मुलाकात की।
– 8 जनवरी: रविवार को सुबह अखिलेश ने मुलायम को फोन किया था। मुलायम ने अखिलेश के सामने दो शर्तें रखीं थीं। पहली की वे नेशनल प्रेसिडेंट बने रहेंगे और दूसरी शिवपाल प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे।
सूत्रों के अनुसार ये दोनों ही शर्तें अखिलेश ने नहीं मानी थीं।
सूत्रों के अनुसार ये दोनों ही शर्तें अखिलेश ने नहीं मानी थीं।