कानपुर में अपराधी विकास दुबे के हमले में शहीद हुए मथुरा के लाल की अस्थियां बुधवार को परिजनों ने सोरों के हरिपदी कुंड में विसर्जित कीं।
तीर्थपुरोहित ने विधिविधानपूर्वक से अंतिम संस्कार करवाए। इस दौरान परिजनों के साथ ही घाट पर मौजूद पुरोहितों की आंखें भी नम हो गईं।
मथुरा के गांव बरारी निवासी जितेंद्र पाल पुत्र तीरथ पाल विगत चार जुलाई को कानपुर के बिठुर थाना क्षेत्र में दहशतगर्द विकास दुबे और उसके गैंग के हमले में शहीद हो गए थे।
बुधवार को परिजन उनकी अस्थियां लेकर विसर्जन के लिए सोरों के हरिपदी कुंड पहुंचे। यहां तीर्थपुरोहित अंकल बड़गैया ने हरिपदी के तट पर धार्मिक अनुष्ठान किया और विधि विधानपूर्वक शहीद की अस्थियां हरिपदी कुंड में विसर्जित कराईं। अस्थि विसर्जन शहीद के छोटे भाई सुरेंद्र पाल ने किया। परिजनों के साथ साथ घाट पर मौजूद अन्य लोगों ने भी नम आंखों से शहीद को श्रद्धांजलि दी।
अस्थि विसर्जन संस्कार में शामिल होने शहीद जितेंद्र के सबसे छोटे भाई जिनेंद्र पाल, बहन पूजा, बुआ त्रिवेणी, चचेरा भाई विवेक, चचेरी बहन पायल आए थे। इस दौरान जहां एक ओर परिजन गमगीन दिखाई दिए वहीं अपराधियों के खिलाफ उनमें गुस्सा भी था। परिजनों का कहना था कि अपराधियों को सजा-ए- मौत मिलनी चाहिए।
शहीद के सबसे छोटे भाई जिनेंद्र ने अस्थि विसर्जन संस्कार के दौरान संकल्प लिया। कहा कि मैंने पिछले साल पुलिस भर्ती परीक्षा पास कर ली है। अब जैसे ही वर्दी मिलेगी मैं अपराधियों का सफाया करूंगा और अपने भाई को सच्ची श्रद्धांजलि दूंगा।
शहीद की शहादत का किस्सा सोरों के पोथी में सदैव दर्ज रहेगा। पुरोहित ने बताया कि जब भी कोई शहादत का किस्सा सामने आएगा तो जितेंद्र पाल हमेशा याद आएंगे। क्योंकि पोथी में शहीदों का जो इतिहास दर्ज होगा वो उसका विवरण अलग पन्ने पर भी होगा। पूर्व में भी कई शहीदों की अस्थियां हरिपदी गंगा में विसर्जित हो चुकी हैं।