जन्म कुंडली और उसमें दर्शायी गई ग्रह स्थिति व्यक्ति के मनोभाव और जीवन को बेहद प्रभावित करती है। व्यक्ति के जीवन जीने का तरीका, उसके विचार, उसका कैरियर, धन, आयु, विद्या आदि सभी इनसे प्रभावित होती है। ग्रह दशा से उसका वैवाहिक जीवन भी प्रभावित होता है। ऐसे में मंगल ग्रह भी जातक को बेहद प्रभावित करता है। मंगल यदि जन्म कुंडली में 4 थे, 12 वें, पांचवे आदि स्थान पर हो तो जातक मांगलिक होता है। ऐसे में उसके विवाह, कैरियर आदि में देरी से सफलता मिलती है।
मगर मंगल उसके लिए शुभ होता है। ऐसे जातक को अपने लिए मंगली वर या वधू ही तलाशना चाहिए। दूसरी ओर मंगल एक उग्र ग्रह है। इसका प्रभाव लाल रंग से युक्त है। हालांकि इसे पाप ग्रह भी कहते हैं। इसके निम्न प्रभाव होने पर यह जातक के लिए अशुभ योग भी बना सकता है। मगर कुपित मंगल को शांत करने के लिए कई प्रयास भी होते हैं। ऐसे में मंत्र जप बहुत उत्तम होता है।
मंत्रों को लेकर कहा गया है कि जो मन से मनन किए जाते हैं वही मंत्र हैं ऐसे में शक्ति दोगुनी हो जाती है। मंगल के लिए ऊं भौमाय नमः मंत्र सबसे अच्छा है। कार्तिकेय या शिव का पूजन भी मंगल दोष की पीड़ा से मुक्ति देता है। इसके अलावा मंगलवार को मंगल देव की प्रतिमा या मध्यप्रदेश के उज्जैन में प्रतिष्ठापित मंगलनाथ मंदिर में लाल पुष्प अर्पित करने से मंगल की पीड़ा में राहत मिलती है।