अखिलेश और रामगोपाल की पार्टी में वापसी, प्रत्याशियों की लिस्ट हुई रद्द

mulayam-singh-yadav_1483104711UP की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में जारी सियासी घमासान के बाद तस्वीर काफी हद साफ होती दिखी और अब यहां सुलह की कोशिशें शुरू हो गई है।

शनिवार को हुए एक तरह के शक्ति परीक्षण में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पिता एवं पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह और चाचा शिवपाल पर भारी पड़ते दिखे। इस बीच मुख्यमंत्री अखिलेश और रामगोपाल यादव का सपा से निष्कासन वापस ले लिया गया। सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने इस संबंध में ट्वीट कर कहा, ‘नेताजी के आदेश अनुसार, अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव का पार्टी से निष्कासन तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है। सब साथ मिलकर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ेंगे और उत्तर प्रदेश में फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे।

इससे पहले सीएम अखिलेश अपने पिता एवं पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह से मिलने उनके घर पहुंचकर सुलह के लिए अपनी शर्तें रखी थीं। पिता-पुत्र की इस मुलाकात में वरिष्ठ सपा नेता आजम खान की अहम भूमिका मानी जा रही है। उन्होंने ही पहले पिता मुलायम और फिर अखिलेश से मुलाकात कर बीचबचाव की कोशिश की। अखिलेश जिस गाड़ी से मुलायम सिंह के घर पहुंचे, उसमें भी अखिलेश के साथ आजम खान और अबु आजमी मौजूद थे।
अखिलेश ने यहां पिता के सामने सुलह के लिए अमर सिंह को पार्टी से निकालने की शर्त रखी और 12 सितंबर से पहले के हालात बहाल करने की मांग की है। दरअसल तभी से अखिलेश की चाचा शिवपाल के बीच खुली रस्साकशी शुरू हुई थी। अखिलेश यादव की इन शर्तों के बाद मुलायम सिंह ने अपने भाई एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को फोन कर अपने घर बुलाया है और फिर थोड़ी देर बातचीत चलने के बाद बैठक खत्म हो गई।
दरअसल सपा में जारी ताकत की इस लड़ाई में पिता मुलायम अपने बेटे अखिलेश के सामने कमजोर साबित हुए। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने पार्टी दफ्तर में शनिवार 10.30 बजे संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी, लेकिन वह मीटिंग शुरू ही नहीं हो सकी। मुलायम सिंह जिस पार्टी को अपनी और सिर्फ अपनी पार्टी कह रहे थे, वह भी उनसे मुंह मोड़ती दिखी और पार्टी दफ्तर के आगे सन्नाटा सा ही पसरा रहा। पार्टी दफ्तर में सुरक्षा अधिकारियों को 402 लोगों की लिस्ट दी गई थी, लेकिन 12 बजे तक बमुश्किल 100 लोग ही यहां पंहुचे। उसमें भी संगठन के लोग ज्यादा थे, विधायक और प्रत्याशी कम।
बैठक के लिए पार्टी दफ्तर पहुंचने वालों में महज 18 मंत्री और विधायक, तो करीब 60 से ज्यादा प्रत्याशी शामिल थे। यहां देखने वाली बात यह है कि मुलायम द्वारा घोषित 395 प्रत्याशियों में से एक चौथाई भी मुलायम का साथ नहीं दिखे। वहीं अब तक जो विधायक और प्रत्याशी पार्टी दफ्तर पंहुचे भी, उनमें से ज्यादातर मुलायम सिंह को ही नसीहत देते दिखे। मुलायम कैंप के ऐसे ही एक विधायक बाबू खान का कहना है कि मुलायम सिंह ने भूल कर दी। इससे पहले सीएम आवास पर अपने समर्थक विधायकों के साथ मीटिंग कर रहे अखिलेश ने बेहद भावुक अंदाज में कहा कि वह अपने पिता से अलग नहीं है। अब वह पिता मुलायम सिंह को विधानसभा जीत कर गिफ्ट देंगे। सीएम आवास पर हुई इस बैठक में शामिल होने के लिए सपा से निष्कासित रामगोपाल यादव और धर्मेंद्र यादव भी पहुंचे।  वहीं अखिलेश समर्थकों ने इस बैठक में 220 एमएलए व एमएससी के पहुंचने का दावा किया। इस बैठक में शामिल विधायकों से हस्ताक्षर लिए गए और उनके मोबाइल फोन बाहर ही रख लिए गए।
इस बीच रामगोपाल यादव ने रविवार 1 जनवरी को लखनऊ स्थित आरएमएल लॉ यूनिवर्सिटी में सपा कार्यकर्ताओं की जो आपात बैठक बुलाई थी, उसमें शनिवार को अचानक बदलाव किया गया। बदले हुए कार्यक्रम के तहत अब यह बैठक जनेश्वर मिश्र पार्क में होगी, जो कि काफी बड़े आकार का है। इस बीच अखिलेश समर्थकों ने मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में पार्टी दफ्तर पर कब्जा कर लिया है। इसके अलावा कई जिलों में भी अखिलेश समर्थक नारेबाजी कर रहे हैं। वहीं कुछ अखिलेश समर्थक नारेबाजी करते हुए लखनऊ में सपा दफ्तर की तरफ पहुंच गए। हालांकि पुलिस ने उनके रास्ते में रोक लिया और इस वजह से पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई।

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