सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के तमाम सियासी सपनों को चकनाचूर कर दिया है. 2017 में कांग्रेस के साथ और 2019 में बसपा के साथ गठबंधन का प्रयोग करना उनके लिए गलत साबित हुआ है. अखिलेश के नेतृत्व में सपा एक बार फिर उसी मुकाम पर खड़ी दिखाई दे रही है, जहां 27 साल पहले उनके पिता मुलायम सिंह यदव ने पार्टी की नींव रखकर शुरुआत की थी. यही वजह है कि हार के सदमे को पीछे छोड़कर अखिलेश यादव सूबे की जमीन पर उतरकर अपनी इमेज को बदलने की कवायद में जुट गए हैं.

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