एजेंसी/ सेक्स पर अनुसंधान कर रही बेट्टीना अर्न्ड इसी टॉपिक पर काम कर रही हैं. उनकी पुस्तक ‘The Sex Diaries: Why Women Go Off Sex and Other Bedroom Battles’ में स्त्रियों को सुझाव दिया गया है कि यदि उनकी इच्छा न हो तो भी सेक्स के लिए बिस्तर पर जाएं. उनकी इस किताब ने पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया में के सामाजिक और मीडिया जगत में हलचल पैदा कर दी. जैसा कि स्वाभाविक था, इस पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं. कुछ लोगों ने इस पर नाराजगी जताई तो कुछ ने कहा कि वे भ्रम फैला रही हैं.
नारीवादी अर्थशास्त्री और विक्टोरिया विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर प्रियु हिम ने चिंता जताई कि कोई किताब सिर्फ अपने साथी को खुश रखने के लिए यौन संबंध रखने का विचार रख रही है. हिम कहती हैं, ‘अगर औरतें यही सोचती हैं कि उन्हें अपने पार्टनर को हर कीमत पर खुश रखना है तो फिर मेरे कहने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन अगर इस वजह से उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है या ग्लानि का भाव पैदा होता है तो मैं इस किताब में कहे गए सुझाव की कहीं से भी सराहना नहीं कर सकती.’
वे कहती हैं, ‘यह सच है कि पुरुष जल्दी सेक्स में इन्वाल्व हो जाते हैं. मगर आपके बिस्तर पर जाने का मतलब सिर्फ संभोग करना नहीं है. आपस में खुशी बांटने के बहुत से तरीके एक्सप्लोर किए जा सकते हैं. पति-पत्नी दोनों एक ही रास्ते पर चलकर सेक्स की मंजिल तक पहुंचते हैं. बस, फर्क इतना है कि पुरुषों की तुलना में स्त्रियों का मन सेक्स से जल्दी उचटता है.’