ये महिलाएं ग्राहकों की देह की भूख ही नहीं मिटाती, बल्कि उनके नाजायज बच्चे भी पैदा करती हैं।
मन हो न हो लेकिन रोजी रोटी के लिए देह से खिलवाड़ कहीं भी कभी भी…देह मानों रबर का खिलौना बन गई है…
ये लड़की इन्हीं वेश्यालयों में ही पैदा हुई, पली-बढ़ी। अब ये भी यही धंधा करने को मजबूर है।
देह के दलदल में उतरने के कुछ दिन तक तो ये दहशत रहती है…फिर…फिर आदत हो जाती है साहेब…
ये महिला ग्राहक के साथ-साथ अपने बच्चे को भी संभाल रही है। खुद सोचिए इन राहों पर किसकी जिंदगी आसान है…मां की या बच्चे की…
इन तस्वीरों के जरिए वाशिंगटन पोस्ट ने औरतों की मजबूरी और वेश्यालयों के अास्तित्व पर एक बार फिर सवाल उठाया है।