नए वित्त वर्ष की क्रेडिट पॉलिसी जारी करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने रेपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए साफ कर दिया है कि जारी की गई क्रेडिट पॉलिसी देश में ब्याज दरों के लिए नहीं है.
उर्जित पटेल ने अपनी क्रेडिट पॉलिसी के जरिए अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी 5 बड़ी चुनौतियों का जिक्र किया. इन चुनौतियों में सबसे अहम उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी द्वारा आगे किया गया किसान कर्ज मॉडल जिसे आरबीआई गंभीर चुनौती कह रही है.
RBI क्रेडिट पॉलिसी के मुताबिक ये हैं 5 बड़ी चुनौतियां.
‘योगी मॉडल’ ने क्यों बढ़ा दी हैं RBI चीफ के चेहरे पर चिंता की लकींरें
उत्तर प्रदेश सरकार की कर्ज माफी योजना से समस्या में फंसे किसानों को केवल अल्पकालीन राहत मिलेगी लेकिन इससे खराब रिण संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा और राज्य के वित्त पर असर पड़ेगा. उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने 2.15 करोड़ लघु एवं सीमांत किसानों को 1,00,000 रुपये तक के कृषि रिण को माफ कर दिया है. इससे राज्य के वित्त पर 307.29 अरब रुपये का बोझ आएगा. इसके अलावा सरकार को 7 लाख किसानों को 56.30 अरब रुपये के कर्ज को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति को बट्टे खाते में डाल दिया.
2. वेतन आयोग और जीएसटी लागू होने के बाद बढ़ने वाली महंगाई को काबू करना
केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की पहली मौद्रिक समीक्षा नीति पेश करते हुए कहा कि सातवें वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित 8-24 फीसदी हाउस रेंट अलाउंस का असर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (महंगाई) पर पड़ेगा. आरबीआई का आकलन है कि वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित दरों पर भत्ते को चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से मान्य करने के बाद ज्यादातर राज्य भी अपने कर्मचारियों को इसी दर पर भत्ता देना शुरू कर देंगे. इसके चलते वित्त वर्ष के दौरान महंगाई दर उम्मीद से 1 से 1.5 फीसदी अधिक रह सकती है.
3. अल-नीनो और कमजोर मानसून का बढ़ता डर
रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक समीक्षा में डर जाहिर किया है कि इस साल अल-नीनो की खतरा गंभीर होता दिख रहा है जिससे मानसून कमजोर रहने के आसार हैं. गौरतलब है कि 2016 में अच्छे मानसून ने कई साल से देश में खरीफ फसल में हो रहे नुकसान की भरपाई की थी. लेकिन एक बार फिर मौसम विभाग द्वारा कमजोर मानसून की भविष्यवाणी केन्द्रीय बैंक के लिए बड़ी चुनौती है.
4. क्रूड ऑयल की कीमत $60 के ऊपर जाने का खतरा, खतरनाक हो जाएगी महंगाई जाएगी
बीते 3 साल से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमते अपने न्यूमतम स्तर पर चल रही थी. इसका सीधा असर केन्द्र सरकार के खजाने पर पड़ा और देश का राजकोषीय घाटा काबू में आ गया. लेकिन बीते कुछ महीनों में ओपेक देशों के समझौते के चलते एक बार फिर कच्चा तेल 50 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर चुका है. रिजर्व बैंक का आंकलन है कि अगले कुछ महीने में कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल का स्तर पार कर लेगी तो देश में महंगाई का असर साफ तौर पर दिखने लगेगा.
5. अमेरिकी नीतियों से ग्लोबल ट्रेड पर खतरा
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में राष्ट्रपति पद को संभालते ही अमेरिका फर्स्ट का नारा देकर दुनियाभर के देशों के सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी है. अभी तक अमेरिका फ्री ट्रेड और ग्लोबलाइजेशन का नेतृत्व कर रहा था और उसकी नीतियों पर दुनिया के कई देशों की आर्थिक स्थिति निर्भर थी. अब रिजर्व बैंक का अपनी मौद्रिक समीक्षा में आंकलन है कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का नकारात्मक असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने से गंभीर चुनौतियां खड़ी हो सकती है.
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