ये राजा बेचारा मलेरिया से मरा, फिर पूरी दुनिया क्यों पगलाई?

एक तो आप पहले ही इतिहास के बोझ तले दबे हुए हैं. उस पर अगर हम अभी इजिप्ट की हिस्ट्री की बात करने लगें तो? आप उसे अत्याचार कहोगे? बिलकुल मत कहना. क्योंकि कहानी बहुत मजेदार होगी.

अच्छा, जब भी पुराने इजिप्ट की बात होती है, दिमाग में क्या-क्या आता है? नीले और गोल्डन रंग का मुखौटा, पिरामिड. है न? और इजिप्ट के राजा के नाम पर ले दे कर एक ही नाम याद आता है- तुतनखामन. ये नीला और गोल्डन मुखौटा उसी ‘बॉय किंग’ का था. तुतनखामन और उससे जुड़ी चीज़ें इजिप्ट की हिस्ट्री के सिम्बल जैसे बन चुके हैं. हर जगह सिर्फ तुतनखामन देख कर लगता है कि वो कितना प्रतापी और भौकाली राजा रहा होगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं था. वो तो बस एक बच्चा था.

ये राजा बेचारा मलेरिया से मरा, फिर पूरी दुनिया क्यों पगलाई?

तुतनखामन चौदहवीं सेंचुरी BC,यानी आज से 3000 साल से भी पहले राजा बना था. उस वक़्त वो सिर्फ नौ या दस साल का बच्चा था. और 19 साल का हुआ, तभी मर गया. बीच में कुछ ख़ास हुआ हो, ऐसा पता नहीं चलता.

असली कहानी तो बहुत बाद में शुरू हुई. जब तुतनखामन के साजो-सामान के साथ उसके मकबरे को खोज निकाला गया था.

राजा तुतनखामन के फेमस होने की बहुत सारी वजहें हैं. लेकिन सब उसके मर के दफ़न हो जाने के बाद की ही हैं.

पहले माना जाता था कि तुतनखामन को मार दिया गया था. लेकिन बाद में सोचा गया कि वो कहीं से गिर के मर गया था. फिर पता चला कि बेचारे को मलेरिया हो गया था. और उसके पैरों में भी फ्रैक्चर था. और कुछ भी नहीं है तुतनखामन के बारे में बताने लायक. फिर क्यों इतना फेमस हो गया ये ‘बॉय किंग’?

इसे खोजने के लिए सबसे ज्यादा मगजमारी करनी पड़ी थी. और जब मिला तो अकेले नहीं. ढेर सारे कीमती सामानों के साथ. पांच हज़ार से ऊपर सामान मिले थे तुतनखामन की लाश के साथ. जिसमें सॉलिड सोने के ताबूत, मुखौटे, खाना, वाइन और लिनेन के कच्छों जैसी ढेर सारी चीज़ें थीं.

ये इजिप्ट का इकलौता ऐसा राजा है, जिसकी हड्डियां और मकबरे का अधिकतर सामान सही-सलामत हालत में मिला है. तुतनखामन को खोजने में बहुत वक़्त लग गया था. मेन वजह ये थी कि उसका मकबरा एक दूसरे मकबरे के नीचे छुपा हुआ था. राजा रमेसेस 6th के मकबरे को खोदते वक़्त जो मिट्टी निकली थी, उसे तुतनखामन के मकबरे के मुंह पर ही फ़ेंक दिया गया था. इससे उसके मकबरे तक पहुंचने में टाइम लग गया.

तीसरी वजह ये थी कि पहला वर्ल्ड वॉर चल रहा था. और उसी वजह से उसे खोजने का काम बीच-बीच में रुक जाता था. फिर फाइनली 1922 में तुतनखामन को खोज निकाला गया. अब इतने तमाशे के बाद मिली चीज़ों की वैल्यू भी बढ़ गई थी.

1918 में इजिप्ट ब्रिटेन के कंट्रोल से आज़ाद हो चुका. और जैसा कि ब्रिटेन ने भारत के साथ भी किया था, वो उस दौरान मिलने वाली सारी हिस्टोरिकल चीज़ें उठा ले गए थे. वो सारी चीज़ें ब्रिटेन के म्यूजियम की शोभा बढ़ाते थे.

तुतनखामन के वक़्त ऐसा नहीं था. उसकी सारी चीज़ों का in situ प्रिजर्वेशन किया गया था. मतलब सब कुछ जहां पाया गया था, वहीं पर रखा गया. इससे इजिप्ट में ही, सिर्फ एक जगह जा कर तुतनखामन की पूरी जिंदगी जानी जा सकती थी. इससे हिस्टोरिकल चीज़ों को एक नए तरीके से ‘नेशनल आइडेंटिटी’ से जोड़ा जा सकता था.

ये वो वक़्त था जब हर नई चीज़ को दुनिया करीब से देखना और जानना चाहती थी. ‘पुरानी’ चीज़ें फिल्मों और किताबों के ज़रिये ‘नए’ तरीके से सामने आ रही थीं. तुतनखामन के बारे में भी काफी फ़िल्में बनी थीं.

पुरानी चीज़ों की खुदाई और उनकी खोज, दोनों बड़ा अकेडमिक काम है. हिस्ट्री से लेकर केमेस्ट्री, सारे हथियार इस्तेमाल करने पड़ते हैं. लेकिन तुतनखामन और उसके सामानों को कई बार, अलग-अलग जगहों में प्रदर्शनी में लगा दिया गया था. जिसे देखने ढेरों लोग गए. और पूरी अकेडमिक दुनिया आम लोगों के लिए खुल गई.

तुतनखामन के फेमस होने की अगली वजह है उसके साथ मिला खजाना और अफवाहें.

वैसे तुतनखामन के दफनाए जाने के कुछ वक़्त बाद ही दो बार उसके मकबरे में से कुछ चीज़ें लूट ली गई थीं. फिर भी ढेर सारी कीमती चीज़ें मिली थीं. जो खूबसूरत और काफी अलग सी थीं. और हर दूसरे खजाने की तरह इस खजाने के इर्द-गिर्द बहुत सी रोमांटिक कहानियां बनने लगी थीं.

फिर कुछ अफवाहें भी फैलने लगीं. जब खुदाई करके तुतनखामन को खोज निकालने वाले कार्नरवोन की कुछ ही दिन बाद मौत हो गई. उसके कुछ दिन बाद इस पूरे प्रोसेस में शामिल दूसरे आदमी, कार्टर की लड़ाई हो गई इजिप्ट की सरकार से. इसके बाद तो तुतनखामन का मकबरा बंद कर दिया गया. और आगे की खुदाई और खोजने का काम पूरे एक साल के लिए रुक गया. इतना कुछ होने के बाद इन मकबरों को ‘शापित’ कहा जाने लगा.

इजिप्ट के पिरामिड, आधे जानवर और आधे आदमी वाली मूर्तियां और तुतनखामन का मुखौटा, ये सब मिलकर इजिप्ट की पहचान बन जाते हैं. तुतनखामन, उसके साथ मिले खजाने और उसके किस्से इसलिए ख़ास हैं क्योंकि उनका मिलना, उनका ‘होना’ ख़ास बन चुका है. ऐसा हुआ कैसे? उनके ‘आम’ बन जाने से. लोगों को इससे जुड़ी हिस्ट्री और अकेडमिक बारीकियां पता नहीं होती. लेकिन इन चीज़ों को देखकर एक ‘इजिप्ट वाली फीलिंग’ आ जाती है. मन में कहानियां बनने लगती हैं. जिसमें रईस राजा के अगले जनम के कम्फर्ट के लिए लाश के साथ पूरा साजो-सामान भर दिया जाता होगा.

 

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