बच्चा गर्भ से बाहर आने लगा तो वापस डाला, फिर जो हुआ वो जान के आप आग बबूला हो जायेंगे…

कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होता हैं. डॉक्टर की वजह से कोई इंसान मौत के मुंह से भी बाहर आ सकता हैं. यही वजह हैं कि डॉक्टर्स को काफी मान सम्मान दिया जाता हैं. लेकिन इन मेडिकल फिल्ड में कुछ डॉक्टर या फिर कहे हॉस्पिटल ने इसे एक धंधा बना लिया हैं. ये लोग अपनी मनमर्जी से काम करते हैं. कई बार तो ये काफी लापरवाह भी हो जाते हैं. आप लोगो ने भी कई ऐसे किस्से सुने होंगे जहाँ अस्पताल में हुई लापरवाही की वजह से मरीज की मौत हो जाती हैं. एक मरीज बड़ी आस लेकर किसी भी अस्पताल में घुसता हैं. उसे उम्मीद रहती हैं कि यहाँ अन्दर जाने के बाद वो ठीक होकर बाहर निकलेगा. हालाँकि कुछ मामलो में अस्पताल वाले अपने कठोर रवैये और लापरवाही से मरीज की उमीदों पर पानी फेर देते हैं. डॉक्टरों की लापरवाही से जुड़ा ऐसा ही एक मामला गुड़गांव में देखने को मिला हैं. यहाँ अस्पताल की लापरवाही के चलते एक महिला को अपने बच्चे को खोना पड़ गया. आइए विस्तार से जाने क्या हैं पूरा मामला…

दरअसल बीते बुधवार गुड़गांव के सिविल अस्पताल में एक गर्भवती महिला अपनी डिलीवरी के लिए आई थी. लेकिन अस्पताल वालो ने महिला को एडमिट करने की बजाए 3 बजे तक व्हील चेयर पर ही बैठाए रखा. इस दौरान महिला बैठे बैठे दर्द से तड़प रही थी. यहाँ तक कि इसके गर्भ में से बच्चे का एक हाथ बाहर भी आ गया. इस पर अस्पताल वालो ने बच्चे के हाथ को वापस महिला के गर्भ में डाल दिया और उसे दुसरे अस्पताल रेफेर करते हुए रवाना कर दिया. 

पटौदी में दौलताबाद के रहने वाले जयदेव ने बताया कि वे अपनी गर्भवती पत्नी सोनिया को गुड़गांव सिविल अस्पताल में ले गए थे. यहाँ अस्पताल वालो ने सोनिया को इमरजंसी रूम में एडमिट करने की बजाए घंटो व्हील चेयर पर ही बैठाए रखा. बाद में सोनिया को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया. डॉक्टर्स का कहना था कि सोनिया को खून की कमी का खतरा हैं इसलिए उसकी डिलीवरी यहाँ नै हो पाएगी. इस बीच जब सोनिया के गर्भ से बच्चे का हाथ बहार निकला तो उन्होंने से वापस अन्दर कर दिया.

सोनिया को एम्बुलेंस में सफदरजंग अस्पताल ले जाने के लिए लेटाया गया तो उसने वहीँ बच्चे को जन्म दे दिया. इसके बाद जब सफदरजंग हॉस्पिटल में सोनिया एडमिट हुई तो उसके बच्चे की मौत हो गई. इस पुरे मामले में अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई हैं. यदि कोई मरीज ज्यादा तकलीफ में हैं और उसके पास समय नहीं हैं तो उसका तुरंत प्राथमिक उपचार करना चाहिए. लेकिन अस्पताल वालो ने तो दर्द से तड़पती महिला को व्हील चेयर पर ही कई देर बैठाए रखा.

बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में काफी हंगामा किया. पुलिस में शिकायत भी की गई. इस मामले पर डीसी ने जानकारी लेते हुए सख्त कार्रवाई के लिए एक टीम गठित की हैं. ये स्पेशल टीम इस मामले की जाँच करेगी और दोषी पाए गए लोगो को सजा दिलवाएगी.

बताते चले कि अस्पताल में हुई लापरवाही का ये कोई पहला मामला नहीं हैं. इसके पहले भी इस तरह के कई मामले देखे जा चुके हैं. ऐसी लापरवाही होने की स्थिति में सरकार को इस अस्पताल या दोषी डॉक्टर का लाइसेंस जब्त कर लेना चाहिए.

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