पैसों की कमी से जूझ रहा रेलवे आने वाले समय में रेल यात्रियों के किराए में बढ़ोतरी कर सकता है। रेलवे के बजट को आम बजट में मिलाने के बाद रेलवे ने वित्त मंत्रालय से आग्रह किया था कि रेलवे के परिचालन घाटा को वित्त मंत्रालय वहन करे। लेकिन वित्त मंत्रालय ने परिचालन घाटे को वहन करने से इंकार कर दिया है।
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक इसके बाद माना जा रहा है कि रेलवे घाटे वहन करने के लिए यात्रियों को विभिन्न श्रेणियों में दी जाने वाली रियायतों और सब्सिडी में कटौती करने का निर्णय ले सकता है।
इस वक्त रेलवे यात्री संचालन पर 77 हजार करोड़ खर्च करता है लेकिन यात्रियों के किराए से सिर्फ 44 हजार करोड़ ही मिलते हैं। जिसके कारण रेलवे को सालाना घाटा 33 हजार करोड़ रुपये का होता है।रेलवे के इस घाटे को पूरा करने और वित्त सहायता देने के लिए वित्त मंत्रालय इच्छुक नजर आ रहा है, साथ ही मंत्रालय चाहता है कि रेलवे अपने घाटे की पूर्ति अपने आंतरिक संसाधनों से पूरा करे।
आंकड़ों से पता चलता है कि रेलवे ने 2015-16 में 34 हजार करोड़ रुपये का खर्च ‘सामाजिक सेवा दायित्व’ के तहत किया है। इसमें रेलवे में यात्रा करने वाले वरिष्ठों नागरिकों को किराए पर रियायत देना भी शामिल है।
नियम के मुताबिक रेलवे सभी श्रेणियों में 60 साल की उम्र के पुरुष वरिष्ठ नागरिकों को 40 प्रतिशत और 58 साल की महिला वरिष्ठ नागरिकों को 50 प्रतिशत तक की छूट देता है। वहीं, कुछ कैटेगरी ऐसी भी हैं जिनमें रेलवे शारीरिक रूप से दिव्यांग, मूक, बधिर, और हार्ट के मरीजों को 75 प्रतिशत तक की छूट देता है।
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