जो रेत हमारें अंगुलियों के पोरों से फिसल जाती है, बंद मुट्ठी भी जिसे रोक नहीं पाती, ट्रकों-ट्रॅालियों में भरकर वही रेत जेब को नोटों से भर देती है’’ – बस! यही वह बात है, जिस कारण हम रेत से हो रही खाली नदियों को देखकर भी अनदेखा कर देते है और आज यही वह वजह है की पूरे देश में रेत का अवैध खनन जमकर हो रहा है.
जबकि हमारें देश में रेत की बिल्कुल भी कमी नही है लेकिन सभी को अच्छी वाली रेत चाहिए . इसलिए माफ़िया नदी के पेट में घुसकर रेत निकलतें है पर शायद इन माफ़ियों को यह नही पता की अवैध खनन की वजह से कुछ ऐसे भी देश है जो दूसरें देशों से रेत आयात करने के लिए मजबूर हो रहे है और इस बात का अच्छा खासा उदाहरण है संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश.
दरअसल दुबई और संयुक्त अरब अमीरात जैसे रेगिस्तान वाले देशों को भी अपनी चमकदार इमारतें तैयार करने के लिए दूसरे देशों से रेत आयात करनी पड़ रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह रेत का अवैध खनन है. इतना ही नही इस लगाम लगाना बहुत जरुरी है.
साइंस जर्नल में छपी एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक वियतनाम में रेत की घरेलू मांग देश के कुल रेत भंडार को पार कर गई है . अगर यही हिसाब जारी रहा तो देश में 2020 के बाद निर्माण कार्यों में रेत का इस्तेमाल बहुत मुश्किल हो जाएगा .वही दुबई को ऑस्ट्रेलिया से रेत आयात करना पड़ रहा है.
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आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 2011 में 11 अरब टन रेत का खनन सिर्फ निर्माण कार्यों के लिए किया गया था. वही एशिया-प्रशांत क्षेत्र में खनन दर सबसे ज्यादा है, इतना ही नही इसके बाद यूरोप और अमेरिका का नंबर आता है. बता दे कि हर दुनिया में लगभग 40 अरब टन रेत खनन किया जाता है.