लखनऊ। यूपी विधानसभा में आज विपक्ष के स्वर तूती की आवाज जैसे साबित हुए और बिना विपक्ष उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2017 (यूपीकोका) पारित हो गया। विधेयक प्रवर समिति को सौंपे जाने की मांग को लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस सदस्यों ने बहिर्गमन किया। इस सबके बावजूद विपक्ष का दमन कर कानून पर विधानसभा की मुहर लग गई।
विपक्ष ने काला कानून, मौलिक अधिकारों का हनन, आपातकाल और लोकतंत्र रूपी द्रोपदी-चीरहरण जैसा बताया और यहां तक कहा कि यह कानून यदि पहले पारित हो गया होता तो दारोगा इसे योगी आदित्यनाथ पर भी लगा देता। इस मामले पर बहुमत के आगे विपक्ष का स्वर कमजोर रहा और उसकी एक न सुनी गया। यहां तक विरोध का प्रस्ताव खारिज कर दिया।
विरोध में विपक्ष के स्वर
- काला कानून के साथ मूल अधिकारों का हनन करने वाला विधेयक
- सरकार की मंशा कांग्रेस से भी ज्यादा समय तक राज करने की।
- उत्तर प्रदेश के इतिहास में कभी ऐसा काला कानून नहीं आया।
- कानून विधायिका और पत्रकारिता पर आपातकाल जैसा हमला।
- कानून लोकतंत्र रूपी द्रौपदी के चीरहरण की तरह साबित होगा
- 2019 में एकछत्र चुनाव के लिए विपक्ष के दमन का कानून है।
- कानून से पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और दलितों का दमन होगा।
- कोई पत्रकार खबर उजागर करेगा तो उसका भी दमन होगा।
- धार्मिक अल्पसंख्यकों को भयभीत करने वाला कानून है।