काजोल: मेरी मां को गालियां देने की आदत थी

काजोल: मेरी मां को गालियां देने की आदत थी

इंडस्ट्री में नैचरल अभिनेत्री के रूप में जानी जाने वाली काजोल को इस महीने बॉलिवुड में 25 साल पूरे हो रहे हैं। जल्द ही उनकी ‘वीआइपी 2’ प्रदर्शित होनेवाली है। इस फिल्म में उनके साथ धनुष हैं। इस विशेष मुलाकात में उन्होंने अपनी फिल्म, धनुष, अपने ऐक्टर पति अजय देवगन, बेटी न्यासा, मां तनुजा और एक्स फ्रेंड करण जौहर के बारे में दिल खोलकर बातें कीं और हमेशा की तरह बबली और खुशहाल नजर आईं। काजोल: मेरी मां को गालियां देने की आदत थी काजोल इस महीने आपके करियर को पूरे 25 साल हो जाएंगे। क्या पीछे लौटकर कुछ बदलना चाहेंगी?
बिलकुल नहीं ! (खिलखिलाकर हंस देती हैं ) क्योंकि मैं समझती हूं ऐसा एक भी पल नहीं था, जिसे मैं बदलना चाहूं। मुझे लगता है कि 25 सालों में मैंने जितना भी काम किया, अच्छा या बुरा, हर फिल्म से कुछ न कुछ सीखा है। मेरी नाकामियों ने मुझे जमीन से जुड़ना सिखाया और सफलताओं ने नम्र बनाया। जहां तक निजी जिंदगी की बात है तो उसमें भी मैं कुछ बदलाव नहीं चाहूंगी क्योंकि व्यक्तिगत जिंदगी में बहुत खुश हूं। मैंने वही किया, जो मैं करना चाहती थी। मैं अपनी गलतियों को भी नहीं बदलना चाहती क्योंकि आज जो कुछ हूं, उन्हीं गलतियों की वजह से हूं। मैं अपने तमाम सही-गलत फैसलों की जिम्मेदारी लेती हूं और उसमें कुछ भी रद्दोबदल नहीं चाहती। 

आपकी आने वाली फिल्म ‘वीआइपी 2’ की बात करें तो इस फिल्म को चुनने की खास वजह क्या थी? आप तो फिल्मों के मामले में काफी चूजी हैं ?
इसके कई कारण थे। एक तो मुझे इस फिल्म में अपना किरदार बहुत पसंद आया और दूसरी कहानी कमाल की लगी। इसमें मेरा और धनुष का किरदार बहुत ही दिलचस्प और मजेदार है। मैं इसमें वसुंधरा का किरदार निभा रही हूं और धनुष, रघुवरन का। इन दोनों किरदारों की सोच और परवरिश एक-दूसरे से अलहदा है, मगर जब ये आपस में टकराते हैं तो बहुत कुछ होता है। फिर इनमें सुलह कैसे होती है, वह भी बहुत रोचक है। फिल्म के मूल आइडिया ने मुझे यह फिल्म करने को प्रेरित किया। 

ये सब बकवास है। आप ही बताइए कि किसी पुरुषप्रधान किरदार को महिला प्रधान चरित्र में कैसे बदला जा सकता है। यह रोल मूल रूप से एक अभिनेत्री को ध्यान में रखकर ही लिखा गया था। वे इस रोल का प्रस्ताव सीधे मेरे पास लेकर आए थे। मुझे स्क्रिप्ट दमदार लगी और मैंने हां कर दी।

आप फिल्मी परिवार से हैं, फिल्मों में परिवारवाद के मुद्दे पर क्या कहना चाहेंगी ?
हर बच्चा अपने माता-पिता की तरह बनना चाहता है और उसमें कोई बुरी या कमतर बात तो नहीं है, मगर हमें सबसे जरूरी बात यह समझनी होगी कि बॉलिवुड में जितने भी लोग आज शीर्ष पर हैं, चाहे वे फिल्मी परिवार से हों या न हों, वे उस ऊंचाई पर अपनी प्रतिभा के कारण हैं। उन्होंने अगर वह मुकाम हासिल किया तो अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर। जरूरी नहीं कि फिल्मी परिवार से ताल्लुक रखनेवाला हर ऐक्टर सफल हो।

कहते हैं औरत मर्द को संपूर्ण करती है, मगर मैं आपसे पूछना चाहूंगी कि आपको अजय (अजय देवगन ) ने कैसे कंप्लीट और कॉम्प्लिमेंट किया है?
अगर एक सफल रिश्ता है तो उसमें दोनों की भागीदारी बराबरी की होनी चाहिए। अगर यह साझेदारी ईक्वल नहीं है तो कम से कम 60-40 के औसत से होनी चाहिए। हम औरतों को यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि जिस तरह हमें अपनी जिम्मेदारियों को लेकर पति से तारीफ चाहिए होती है, उसी तरह से पति के प्रयासों को भी अहमियत चाहिए होता है। अजय ने हमेशा मेरे हर काम में सपॉर्ट किया है। मुझे हर दौर में संभाला है। मैं अपनी पार्टनरशिप को 50-50 का दर्जा देती हूं। दूसरे पति-पत्नी की तरह हमारे रिश्ते में भी उतार-चढ़ाव आए हैं, मगर जैसे उन्होंने मेरी कोशिशों को सराहा तो मैंने भी उनके एफर्ट को गले लगाया। ये तो गिव-ऐंड टेक का मामला होता है।

आपकी अभिनेत्री मां तनुजा अपनी शर्तों पर जीने वाली औरत रहीं। उनसे आपने क्या सीखा?
मैंने अपनी मां से जिंदगी के सबक लिए। बहुत कुछ सीखा, मगर जो सबसे जरूरी चीज सीखी, वह यह कि आप अपने बच्चों को तभी सिखा सकते हैं, जब आप उनके सामने एक आदर्श प्रस्तुत करें। मेरी मां को गालियां देने की आदत या यूं कहिए कि शौक-सा था। वे हर दो मिनट में गालियां दिया करती थीं। फिर एक समय में उन्हें अहसास हुआ कि उनके बच्चे बड़े हो रहे हैं और उन्हें गालियां देना बंद करना होगा। उन्होंने हमें समझाना शुरू किया कि गालियां देना बुरी बात है, मगर इससे पहले उन्होंने अपनी गाली देने की आदत बदल दी।

एक बेहतरीन अदाकारा होने के साथ-साथ आप एक मां भी हैं। एक मां होने के नाते टीनेजर न्यासा की परवरिश में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
सबसे जरूरी चीज होती है, खुद को बैलेंस करना। बच्चों को लेकर पैनिक होने से कोई फायदा नहीं। कई बार टीनेजर बच्चे मूड स्विंग का शिकार होते हैं। वैसे बच्चों के हर ऐक्शन, मूड या काम की जिम्मेदारी हम खुद पर नहीं ले सकते। अगर हम उनकी हर बात के लिए खुद को जिम्मेदार मानने लगे तो पागल हो जाएंगे। माता-पिता होने के नाते हमें यह अहसास कराना होगा कि हम इतने जरूरी भी नहीं हैं और न ही उनके लिए कोई भगवान हैं। कई दूसरी मांओं की तरह मैं भी बहुत ही इन्सिक्योर मां हूं। मेरे मन में भी न्यासा को लेकर तरह-तरह के खयाल आते हैं, मगर मैं रोज रात को अपनी बेटी को हग करके गुडनाइट बोलती हूं। सबसे ज्यादा जरूरी होता है, अपने बच्चों को इस बात का अहसास दिलाना कि हम उनसे निस्वार्थ प्यार करते हैं और हर हालात में उनका साथ देंगे।

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धनुष किस तरह के को-ऐक्टर साबित हुए?
धनुष के साथ काम करने में बहुत मजा आया और यह मजा इसलिए भी बढ़ गया कि वह इस फिल्म के लेखक भी हैं। हमें जब भी सेट पर डायलॉग बदलने होते थे या कुछ इम्प्रोवाइज करना होता था तो राइटर को बुलाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। कई बार तो मैं उलझन में पड़ जाती थी कि वह ऐक्टर हैं या राइटर! फिल्म में कई सीन ऐसे हैं, जहां पर कोई डायलॉग नहीं है, मगर हमारे ऐक्शन-रिऐक्शन से वे सीन देखने लायक बन पड़े हैं। हमने फिल्म के लिए कोई वर्कशॉप नहीं की, मगर हमने सीन्स की बहुत रीडिंग की। हम घंटों बैठकर चर्चा किया करते थे कि एक सीन कितनी विविधता के साथ किया जा सकता है। हमारी कोशिश यही थी कि हमारी केमिस्ट्री दर्शकों को इंट्रेस्टिंग लगे। 

फिल्म का निर्देशन सौंदर्या रजनीकांत ने किया है। क्या आप मानती हैं कि एक महिला डायरेक्टर होने के नाते फिल्म में वुमन टच आ जाता है?
मैं कोई जेंडर बायस्ड नहीं हूं। मैंने तनुजा चंद्रा (दुश्मन ) के साथ भी काम किया है और अब मैं सौंदर्या रजनीकांत के साथ भी काम कर रही हूं। मुझे मेल और फीमेल निर्देशक में कोई फर्क नहीं लगता। जहां तक सौंदर्या की बात है तो वे अपने थॉट प्रॉसेस को लेकर बहुत ही स्पष्ट हैं। उन्हें स्क्रिप्ट और सीन को लेकर किसी भी तरह की दुविधा नहीं थी। वे जानती हैं कि उन्हें क्या चाहिए और साथ में ये भी जानती हैं कि उन्हें अपने कलाकारों से काम कैसे करवाना है। उन्होंने वसुंधरा के किरदार को जो आयाम दिए हैं, वह काबिल-ए-तारीफ हैं। 

आपकी और करण जौहर की दोस्ती को करण ने ट्विटर के जरिए तोड़ा। आपको दुख तो बहुत हुआ होगा? आप दोनों की फिल्मी जुगलबंदी भी कमाल की थी।
इस मुद्दे पर फिलहाल कुछ नहीं कहना चाहूंगी। जहां तक फिल्मी जुगलबंदी की बात है तो लोग मेरी और शाहरुख की केमिस्ट्री को लाजवाब मानते हैं, तब भी मैं यही कहती हूं कि हम बहुत अच्छे ऐक्टर्स हैं, इसलिए हमारी केमिस्ट्री भी लाजवाब है।

 

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