यह बेहद हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है कि आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा और अन्य डायरेक्टर्स ने मकान खरीदारों के 3,523 करोड़ रुपये का उपयोग शादी समारोह, कार, मकान और ज्वैलरी तक खरीदने में किए. आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा और अन्य डायरेक्टर कंपनी को किस तरह से चला रहे थे, यह बात इसी से समझी जा सकती है कि उन्होंने मकान खरीदारों के 3,523 करोड़ रुपये का उपयोग शादी समारोह, कार, मकान और ज्वैलरी तक खरीदने में किए.

संकट में फंसी कंपनी आम्रपाली समूह के खातों की जांच के लिए नियुक्त फॉरेंसिक ऑडिटरों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि कंपनी से 9,590 करोड़ रुपये वसूले जा सकते हैं. ऑडिटर्स का कहना है कि जिस पैसे को दूसरे कार्यों में उपयोग किया गया उसमें से 455 करोड़ रुपये रियल्टी कंपनी के निदेशकों, उनके परिजनों तथा प्रमुख पद पर बैठे लोगों से वसूला जा सकता है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जस्टिस अरुण मिश्र तथा जस्टिस यू यू ललित की पीठ को न्यायालय द्वारा नियुक्त फॉरेंसिक ऑडिटर पवन अग्रवाल तथा रवि भाटिया ने कहा कि कंपनी ने औने-पौने दाम पर 5,856 फ्लैट बेचे और मौजूदा बाजार भाव पर इनके 321.31 करोड़ रुपये वसूले जा सकते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मकान खरीदारों के पैसे को आम्रपाली के सीएमडी अनिल शर्मा और अन्य डायरेक्टर्स ने शादी समारोह, लग्जरी मकान, ज्वैलरी और शेयर खरीदने जैसी चीजों में लगाए.
ऑडिटरों ने कोर्ट को आठ खंडों में दी रिपोर्ट में कहा कि अब तक उन्होंने 152.24 करोड़ रुपये का पता लगाया है जिसे कंपनी के निदेशकों तथा उनके परिवार के सदस्यों ने आयकर चुकाने, शेयर खरीदने के लिये कर्ज तथा अन्य मद के लिये उपयोग में लाया. ऑडिटर की संक्षिप्त रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समूह की 35 कंपनियों में निदेशकों सहित प्रमुख प्रबंधकीय पदों पर बैठे व्यक्तियों ने 69.36 करोड़ रुपये बेईमानी से निकाल लिये. यह धन इन कंपनियों के पास पड़ा था.
ऑडिटर्स ने यह भी कहा है कि आम्रपाली की 11 विभिन्न परियोजनाओं में 5,229 बिना बिके फ्लैट हैं, जिन्हें बेचकर 1,958.82 करोड़ रुपये हासिल किये जा सकते हैं. इसके अलावा आम्रपाली समूह की नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को 6,004.6 करोड़ की देनदारी भी इसमें बताई गई है.
शीर्ष अदालत ने फारेंसिक ऑडिटरों की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है और कंपनी समूह और उसकी सहयोगी कंपनियों से जवाब मांगा हैं.
गौरतलब है कि एक खरीदार की शिकायत पर 28 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आम्रपाली समूह के सीएमडी अनिल शर्मा और दो निदेशकों को गिरफ्तार करने की इजाजत दी थी.
कोर्ट ने कंपनी के सीएमडी और निदेशकों की व्यक्तिगत प्रॉपर्टी भी कुर्क करने का आदेश दिया था. कुछ महीने पहले यह भी खबर आई थी कि एनबीसीसी यानी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन आम्रपाली के रुके हुए लगभग साढ़े 11 हज़ार फ्लैट पर काम शुरू कर सकता है.
एनबीसीसी ने इसके लिए फंड भी जुटाना शुरू कर दिया है जिससे वह दिसंबर तक कंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर सके. साथ ही एनबीसीसी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में आम्रपाली के रुके हुए प्रोजेक्ट्स के काम पर रिपोर्ट भी पेश करेगी.
गौरतलब है कि आम्रपाली ग्रुप पर करीब 45000 होम बायर्स को घर ना देने का आरोप है, जिसके खिलाफ होम बायर्स ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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