भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर 73 दिनों से चला आ रहा विवाद महज 3 घंटे की सकारात्मक बातचीत से सुलझ गया. इस बातचीत का ही नतीजा था कि युद्ध को आतुर चीन ने डोकलाम से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया.अमेरिका ने गिराया ‘हबीब बैंक’ का शटर, पाक को भारी पड़ी आतंकी संगठनों से गलबहियां…
दरअसल भारत शुरुआत से ही डोकलाम विवाद को बातचीत के जरिये हल किए जाने की बात कहता रहा था. ऐसे के इस शांतिपूर्ण हल को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना गया. टाइम्स ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के हवाले से बताया कि डोकलाम को लेकर चल रहे तनाव को खत्म करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की सक्रिय भूमिका रही.
रिपोर्ट के मुताबिक, इसी का नतीजा था कि चीन में भारत के राजदूत विजय गोखले को 27 अगस्त की शाम को बीजिंग ने बताया कि वह उनसे जल्द मुलाकात करने को लेकर उत्सुक है. गोखले उस वक्त हॉन्ग कॉन्ग में थे. फिर आनन-फानन में उन्होंने बीजिंग के लिए फ्लाइट पकड़ी और करीब आधी रात को राजधानी पहुंचे.
इसके बाद देर रात 2 बजे चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ गोखले ने मुलाकात की. दोनों पक्षों के बीच करीब 3 घंटे की बातचीत चली, जिसने इस गतिरोध को खत्म करने के साथ ही BRICS समिट से इतर सकारात्मक बातचीत की आधार रखी.
बता दें कि डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच दो महीनों से ज्यादा वक्त तक तनातनी चलती रही थी. डोकलाम क्षेत्र सिक्किम के पास भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन पर स्थित है. यह इलाका भूटान की सीमा में पड़ता है, लेकिन चीन इसे डोंगलोंग प्रांत बताते हुए अपना दावा करता है.
चीन ने इस साल जून में जब डोकलाम के पास सड़क बनाने की कोशिशें शुरू कीं, तो भारतीय सैनिकों ने दखल देते हुए उनका काम रुकवा दिया. दरअसल भूटान के साथ हुए समझौते के तहत भारत अपने इस पड़ोसी मुल्क की संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. ऐसे में उसका दखल देना लाजमी हो जाता है.
वहीं चीन का कहना था कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है और भारतीय सेना के दखल को ‘अतिक्रमण’ करार दिया. चीन तब से ही युद्धउन्मादी बयान देते हुए भारत से अपने सैनिक हटाने को कह रहा था.
दरअसल चीन जिस जगह के पास सड़क बनाना चाह रहा था, वह भारत का ‘चिकन नेक’ कहलाने वाले हिस्से के बेहद करीब स्थित है. उत्तर पूर्वी राज्यों को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाला यह इलाका महज 20 किलोमीटर चौड़ा है और सामरिक रूप से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. ऐसे में इस जगह के आसपास चीनी गतिविधि भारत की सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक था.