नई दिल्ली: दवा प्राइसिंग रेगुलेटर एनपीपीए भले ही दवाइयों की खुदरा कीमत तय करके मरीजों को राहत दिलाने की कोशिश कर रहा है लेकिन वास्तव में कंपनियां कीमत घटाने को तैयार नहीं दिखती हैं। एनपीपीए ने जिन 662 दवाइयों की अधिकतम खुदरा कीमत तय की है, उनमें से 634 दवाइयों पर अभी भी ज्यादा कीमत वसूली जा रही है।
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सिप्ला, एबट, एस्ट्राजेनेसिया और डा. रेड्डीज जैसी कंपनियों ने करीब 634 दवाइयों की कीमत एनपीपीए के आदेश के अनुसार कम नहीं की है। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने जीवनरक्षक दवाइयों की अधिकतम कीमत तय की है। कोई भी कंपनी खुदरा मूल्य इससे ज्यादा नहीं रख सकती है।
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एनपीपीए ने एक ताजा अधिसूचना में कहा है कि उसने पिछले साल दिसंबर में विभिन्न दवाइयों के मार्केट डाटा का विश्लेषण करने के बाद एक सूची जारी की है। इसमें उन दवाइयों का विवरण है जिन पर एनपीपीए द्वारा निर्धारित मूल्य लागू नहीं किये जाने के संदेह है।
ये दवाइयां घरेलू कंपनियों द्वारा निर्मित हैं। इस सूची में सिप्ला, एबट इंडिया, अजंता फार्मा, अलकेम लैब्स, एस्ट्राजेनेसिया, डा. रेड्डीज और कैडिला जैसी तमाम कंपनियों की दवाइयां शामिल हैं। संदेह है कि एबट की थायरोकैब, एलेंबिक की एल्थ्रोसिन और सिप्ला की नोवामोक्स दवा शामिल है।
अभी तक एनपीपीए ने ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 की संशोधित शिड्यूल-एक के तहत 662 दवाइयों की अधिकतम खुदरा कीमत तय की है।