सुनो अफसरों, ‘मैं कानपुर बाेल रहा हूं’। आपसे कुछ कहना चाहता हूं। मेरे सीने पर सुलग रहे हुक्का बार पर कार्रवाई करने के बजाय बहानेभरी बातें मत बनाइए। आप लोग तो मेरा नाम बदनाम करा रहे हैं।कोटपा (सिगरेट एंड अदर टुबैको प्रोडक्टस एक्ट) में किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में हुक्का न परोसने का प्रावधान है। इसका अनुपालन कराना आपका दायित्व है। इस कानून का पालन नहीं करा सकते हैं तो इस कानून को बदलवा ही दीजिए। सुनिए, तत्कालीन जिलाधिकारी रौशन जैकब के कार्यकाल में मुझे कोटपा लागू कराने वाले शहर का तमगा मिला था।
तब उन्होंने और अफसरों ने सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान और तंबाकूखाने पर शिकंजा कसा था। मैं बहुत खुश हुआ था। पता है क्यों? तंबाकू और धूम्रपान से मैने अपने लोगों को मरते देखा है। एक के बाद एक युवा खेलनेे-खाने के दिनों में मुझे छोड़कर चले गए। अब तो हद ही हो गई है। मेरे सीने पर 10-20 नहीं सैकड़ों हुक्का बार धधकने लगे हैं। मेरे बच्चे इसके लती हो रहे हैं।
खैर, जाके पांव न फटे बिर्वाईं, वो का जानै पीर पराई। मैं मुद्दे पर आता हूं। आप कानून के जानकार हैं। कानून की भाषा ही समझिये। कोटपा में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान प्रतिबंधित है। स्कूल-कालेज परिसर से सौ मीटर के दायरे में हुक्का बार तो दूर सिगरेट भी नहीं बेची जा सकती। 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तंबाकू या सिगरेट नहीं बेची जा सकती।
इससे होने वाले नुकसान का चेतावनी पोस्टर लगाना होगा। 30 या इससे अधिक कमरे वाले होटल और 30 या इससे अधिक सीट के रेस्टोरेंट में नो स्मोकिंग जोन बनाना होगा। इसमें लोग सिगरेट पी सकते हैं, लेकिन होटल मालिक या कर्मचारी सर्व नहीं कर सकते हैं। अजी, जरा एक्ट मंगाकर देखिए। एक संशोधन भी हुआ है।
इसमें कहा गया है कि होटल या रेस्टोरेंट मालिक धूम्रपान की कोई वस्तु नहीं परोस सकता है। फिर हुक्का कैसे परोसा जा रहा है? अगर हुक्का बार संचालक तर्क दे रहे हैं कि हुक्का हर्बल है तो चेक कौन कराएगा? मैं मानता हूं कि इस एक्ट में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर संबंधित व्यक्ति और होटल मालिक व कर्मचारियों पर दो-दो सौ रुपये ही जुर्माना हो सकता है।