अहमदाबाद, गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान युवकों के खिलाफ दर्ज हुए केस वापस लेने की मांग को लेकर सरकार को 23 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है। सरकार पाटीदार युवकों के खिलाफ दर्ज केस वापस नहीं लेती है तो एक बार फिर हार्दिक गुजरात में उग्र आंदोलन करेंगे। राजकोट में पत्रकार वार्ता के दौरान हार्दिक पटेल ने कहा कि भाजपा सरकार ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति सरदार पटेल ग्रुप एवं अन्य पाटीदार नेताओं के साथ समझौता वार्ता में पाटीदार युवकों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग को स्वीकार किया था। करीब 5 साल पूरे होने के बाद भी भाजपा सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया है करीब 400 केस आज भी पाटीदार युवकों के खिलाफ चल रहे हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता एवं पाटीदार आरक्षण आंदोलन के अगवा रहे हार्दिक पटेल, पाटीदार नेता दिनेश बामणिया सहित करीब आधा दर्जन युवकों के खिलाफ राजद्रोह के मामले चल रहे हैं। हार्दिक ने कहा कि करीब साढे तीन सौ मामले ऐसे हैं जिन्हें सरकार को तुरंत वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार अपने ही वादे से मुकर रही है, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10% का आरक्षण देना शुरू किया है। इससे यह बात साबित हो जाती है कि आरक्षण आंदोलन गलत नहीं था वह एक सामाजिक न्याय की लड़ाई थी।
हार्दिक ने गुजरात सरकार को पाटीदार युवकों के खिलाफ दर्ज मामले वापस नहीं लेने पर आगामी 23 मार्च के बाद राज्य में एक बार फिर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। सरकार को दिए गए अपने अल्टीमेटम में हार्दिक ने कहा है कि सरकार अपने वादे को जल्द पूरा करें। पाटीदार समाज के युवाओं को परेशान करने के लिए सरकार बार-बार अपने किए गए वादे को डाल रही है।
हार्दिक ने कहा कि पाटीदार समाज के नेता बार-बार सरकार के साथ बैठक में कर रहे हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा है। पुलिस केस वापस नहीं होने से पाटीदार युवकों को काफी परेशानियां हो रही हैं। गौरतलब है कि लंबे समय से हार्दिक पटेल कानूनी मामलों का सामना कर रहे हैं। भाजपा विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी के मामले में मेहसाणा की स्थानीय अदालत उन्हें 2 साल की सजा सुना चुकी है। इस सजा के खिलाफ हार्दिक ने हाल ही गुजरात हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था उनका कहना है कि राजनीतिक द्वेष के चलते उनके किस मामले में सरकार एवं पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने का प्रयास किया है।