व्हाइट हाउस ने गुरुवार को कहा कि 55 से अधिक देशों ने इंटरनेट के भविष्य को लेकर एक घोषणापत्र का एलान किया है। भारत जैसे देशों के लिए इसके दरवाजे अब भी खुले हैं, जो इसमें शामिल नहीं हुए हैं।

व्हाइट हाउस ने कहा कि इंटरनेट के भविष्य के लिए घोषणा उस डिजिटल निरंकुशता की बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ प्रतिक्रिया है, जिसमें विश्वसनीय समाचार साइट को अवरुद्ध करने और यूक्रेन पर आक्रमण के दौरान दुष्प्रचार को बढ़ावा देने के लिए रूस की कार्रवाई शामिल है। उसने कहा, यह घोषणापत्र इंटरनेट और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के लिए सकारात्मक दृष्टि को आगे बढ़ाने की खातिर भागीदारों के बीच राजनीतिक प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। यह 21वीं शताब्दी द्वारा प्रस्तुत वैश्विक अवसरों और चुनौतियों के सामने इंटरनेट के वादे पर पुन: जोर देता है। यह एक ऐसे वैश्विक इंटरनेट के लिए भागीदारों की प्रतिबद्धता भी जताता है, जो वास्तव में खुला है और प्रतिस्पर्धा, गोपनीयता और मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देता है।
अमेरिका ने इस घोषणापत्र का समर्थन करने वाले देशों की सूची भी जारी की। इन देशों में अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, कनाडा, डेनमार्क, यूरोपीय आयोग, फ्रांस, जर्मनी, यूनान, हंगरी, आयरलैंड, इजराइल, इटली, जापान आदि शामिल हैं। भारत के बारे में अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी वह इस घोषणापत्र में शामिल नहीं है। लेकिन, भारत के लिए इसका हिस्सा बनने का समय पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
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