नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि राजनीति का स्वरूप तेजी से बदल रहा है. करीब 20 साल पहले राजनीतिक संघर्ष आंदोलन, बयानबाजी से जनता को लुभाने का काम होता था, लेकिन अब जनता जागरूक हो गई है और यह देखती है कि जरूरत के समय कौन से राजनेता उनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं और कौन उनके जीवन में बदलाव ला सकते हैं. प्रधानमंत्री ने जमीनी स्तर पर प्रगति के लिए भारत के विकास मॉडल को ठीक करने का आह्वान किया और कहा कि विकास के मापदंड में पीछे 115 जिलों का विकास मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में देश की रैंकिंग में तेजी से परिवर्तन लाएगा. संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सम्मलेन का उद्घाटन करते हुए मोदी ने इन 115 जिलों में त्वरित परिणामों के लिए युवा व प्रेरित आईएएएस अधिकारियों की तैनाती पर भी जोर दिया.
पिछड़े जिलों में हो युवा अफसरों की पोस्टिंग
मोदी ने कहा कि वह इन जिलों को पिछड़े जिलों के रूप में वर्गीकृत करने के खिलाफ हैं, जो विशेष विकास मापदंडों पर पिछड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की परंपरागत अवधारणा समाज की स्थिति के संदर्भ में रही है, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है. मोदी ने कहा, “अगर एक गांव के पास बिजली की सुविधा है, लेकिन पड़ोसी गांव के पास नहीं है तो क्या यह सामाजिक न्याय नहीं है कि उसके पास भी बिजली होनी चाहिए. सामाजिक न्याय के सिद्धांत हमें इसके लिए प्रेरित करते हैं.” उन्होंने कहा कि पिछड़े 115 जिलों का विकास सामाजिक न्याय है. मोदी ने कहा कि अगर इन 115 जिलों में युवा, ऊर्जावान अधिकारियों की तैनाती अगले कुछ सालों में हो सके तो बदलाव देखने को मिल सकता है. वह मुख्यमंत्रियों से बात कर रहे हैं कि अधिकारियों को यह चुनौती दी जाए. उन्होंने चुने गए प्रतिनिधियों से इन जिलों के संदर्भ में खुद के लिए लक्ष्य निर्धारित करने के लिए कहा.
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