भारत के गांव आज भी अपनी प्राचीन परंपराओं पर अग्रसर हैं। मनुष्य के साथ जानवरों के प्रति प्रेम का भाव और उन्हें परिवार समझने की भावनाएं आज भी जीवित हैं। एक कहानी इंदौर के समीपस्थ धरावरा ग्राम से निकल कर आई है। इस गांव के हनुमान मंदिर में रहने वाले एक बंदर की मृत्यु हो गई तो उसे गांववालों ने अपने परिवार के सदस्य की तरह विदा किया।

भारत रीति-रिवाजों, संस्कृतियों और परम्पराओं को मानने वाला देश है। यहां कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। मध्यप्रदेश के इंदौर में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार एक बेजुबान का अंतिम संस्कार कर एक अनूठी मिसाल पेश की गई। इंदौर के पास धरावरा धाम में एक बंदर का अंतिम संस्कार किया गया। बताया जा रहा है कि गांव में हनुमान मंदिर के पास एक पेड़ से गिरने के कारण बंदर की मौत हो गई। वह हमेशा मंदिर के आसपास ही नजर आता था, इसीलिए उसका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाजों से करने का निर्णय लिया गया। उसकी विदाई ऐसे ही की गई, जैसे अपने परिवार के सदस्य की होती है।
मंदिर के प्रांगण में देखा जाता था
बंदर की मौत के बाद पूरे गांव में शोक की लहर दिखाई दी। गांववालों ने बंदर की अर्थी सजाकर भजन गाते हुए अंतिम यात्रा निकाली। मुक्तिधाम पहुंचकर बंदर का पूरे रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार किया गया। ग्रामवासी इस बंदर को हनुमान का भक्त मानते थे इसलिए उसे धूमधाम से विदा किया गया। ये बंदर कुछ साल पहले जाने कहाँ से इस मंदिर वाले क्षेत्र में आ गया था। उसके बाद इसी मंदिर के प्रांगण में देखा जाता था। श्रद्धालु उसे प्रसाद आदि खिलाते थे। कुल मिलाकर ये बंदर पुरे गांव का प्रिय था।
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