संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इराक में लापता सभी 39 भारतीयों की आंतकी संगठन आईएसआईएस ने हत्या कर दी है। सुषमा ने कहा कि मारे गए सभी लोगों की डीएनए जांच कराई गई थी। जिसके बाद सभी शवों की पहचान की गई। यह सभी शव पहाड़ी खोदकर निकाले गए थे। बता दें कि ये भरतीय मोसुल से लापता हो गए थे।
सुषमा स्वराज ने कहा कि इनके शव को अमृतसर लाया जाएगा। विदेश मंत्री ने बताया कि मैंने पिछले साल ही संसद में कहा था कि जब तक मुझे पक्के तौर पर कोई प्रमाण नहीं मिलेगा मैं लापता लोगों को मृत घोषित नहीं करूंगी। कल हमें इराक सरकार की तरफ से सूचना दी गई कि 38 लोगों के डीएनए 100 फीसदी मिल गए हैं और एक व्यक्ति का 70 फीसदी तक डीएनए मिला है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘मुझे 40 अगवा लोगों में से एक जीवित बचे शख्स हरजीत ने फोन किया था और बचाने की अपील की थी। उसने जो भी कहानी बताई थी कि 39 लोगों को सिर में गोली मारी गई और उसे पैर में। वह जंगल में भाग गया, यह सब गलत है। वह अली बनकर ट्रक में छिपकर भागा और इसकी पुष्टि भी जिस कंपनी में काम करता था उसने कर दी है।’
बता दें कि ये सभी भारतीय 3 साल पहले ISIS द्वारा अगवा किए गए थे। अगवा हुए ज्यादातर लोग पंजाब के रहने वाले थे। इस मामले में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह इराक के मोसुल शहर भी गए थे। जहां वह एक सप्ताह तक इराक के विभिन्न शहरों में घूमते रहे। इसके बाद इराक से लौटने के बाद उन्होंने अपने अनुभवों को फेसबुक पर शेयर किया था। उन्होंने लिखा था कि वह 39 भारतीयों की तलाश के लिए इराक गए थे।
वहां की सरकार की मदद से लापता लोगों की तलाश शुरू की गई। इराक के उच्चाधिकारियों और विभिन्न संगठनों से विचार-विमर्श कर वह मोसुल शहर भी गए। आईएसआईएस द्वारा इस शहर पर कब्जा किए जाने से पहले भारतीय लोग मोसुल शहर में ही काम करते थे। हाल ही में इराक सरकार ने मोसुल को आईएसआईएस से कब्जा मुक्त कराया है।
मोसुल जहां अब भी डर का माहौल है
वीके सिंह ने फेसबुक पर लिखा था कि मोसुल शहर में युद्ध के कारण बहुत नुकसान हुआ है। लापता भारतीयों की खोज उस कंपनी से शुरू की गई, जहां भारतीय काम करते थे। क्षतिग्रस्त शहर मोसुल जहां अब भी डर का माहौल है।
उन्होंने वहां हर उस जगह पर लापता भारतीयों की तलाश कराई जहां-जहां उनके होने की जरा सी भी खबर थी, मगर कुछ पता नहीं चल सका। इसके बाद वह इराक के शहर तल अफार और बदूश नामक गांव भी गए। यहां हाल ही में लड़ाई समाप्त हुई है। अभी भी यहां पूर्व में लगाए गए बमों का डर है। सब जगह सैनिक टुकड़ियां और भारी सिक्योरिटी है।
स्थानीय नागरिकों में भी डर का माहौल है। वीके सिंह ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा है कि मोसुल में रात रुकने के लिए कोई जगह नहीं थी। ऐसे में वहां के गवर्नर केपीऐ के कमरे में हम तीन लोग एक साथ सोए थे। यह अनुभव काफी अच्छा रहा। इससे एक बार फिर सेना के पुराने दिनों की याद ताजा हो गई।