रूस की एक अदालत ने मंगलवार को गूगल पर 1.50 करोड़ रूबल (1.36 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया। उसे कई बार कहने पर भी रूस के यूजर्स का डाटा देश में ही सर्वर बनाकर स्टोर न करने व देश के बाहर भेजने का दोषी माना गया है। विदेशी टेक कंपनियों की सामग्री, सेंसरशिप, डाटा, स्थानीय प्रतिनिधित्व और यूक्रेन युद्ध पर प्रोपेगेंडा की वजह से रूस द्वारा लगातार सख्ती की जा रही है। ताजा जुर्माना मॉस्को की तगन्स्की जिला अदालत ने लगाया। अदालत ने यूजर्स का डाटा देश के बाहर स्टोर किया जाना राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मसला बताया है। बचाव में गूगल ने कहा था कि यह यूजर नीति का मामला है। हालांकि, जुर्माने के बाद उसने कोई बयान नहीं दिया है।
उल्लेखनीय है कि 2022 में रूस की गूगल यूनिट ने दिवालिया करार देने का आवेदन किया था। इसी वजह से उससे जुर्माना वसूलना मुश्किल माना जा रहा है। रूस सरकार ने उसके बैंक खातों को कब्जे में ले लिया था। गूगल ने बताया था कि वह अपने स्टाफ को वेतन तक नहीं दे पा रहा है। यूक्रेन युद्ध पर पोस्ट की जा रही सामग्री पर आपत्ति जताते हुए रूस ने फेसबुक व एक्स को भी प्रतिबंधित कर दिया था। गूगल व उसके एक और प्लेटफॉर्म यूट्यूब की सेवाएं जारी थीं, लेकिन उन पर यूजर डाटा से जुड़े इन्हीं आरोपों में अगस्त 2021 और जून 2022 में भी जुर्माने लगे। इनके लिए डाटा संरक्षण पर बने रूसी कानून को आधार बनाया गया, जिसके अनुसार विदेशी टेक कंपनियों को यूजर्स का निजी डाटा स्थानीय स्तर पर स्टोर करना अनिवार्य है। अगस्त में भी गूगल पर 27.5 लाख का जुर्माना लगा क्योंकि प्लेटफॉर्म पर यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर गलत सूचनाएं मौजूद थीं। एजेंसी
गूगल घटा, रूस में बढ़ा यान्डेस्क
पिछले हफ्ते बैंक ऑफ अमेरिका ने सर्च इंजन के मार्केट शेयर पर अपनी रिपोर्ट में बताया अक्तूबर में गूगल की हिस्सेदारी में कमी आई है। यह 91.6 प्रतिशत है। वहीं बिंग का हिस्सा भी घट कर 3.1 प्रतिशत रह गया है। लेकिन रूस में अपने देश के सर्च इंजन यान्डेस्क का उपयोग बढ़ा है। गिरावट की अहम वजह एआई आधारित प्लेटफॉर्म का उपयोग बढ़ना मानी जा रही है। चैटजीपीटी यूजर्स 4 प्रतिशत व बार्ड यूजर्स 2 प्रतिशत बढ़े हैं।